० आईटीबीपी के जवान ने खून देकर बचाई प्रसूता महिला की जान
० पीड़ितों की सेवा की सेवा में पीछे नहीं रहते जवान
(अर्जुन झा) जगदलपुर। नक्सली जहां निरीह आदिवासियों का खून बहा रहे हैं, वहीं नक्सल उन्मूलन अभियान में शामिल फोर्सेस के जवान आदिवासियों की सुरक्षा, उनकी प्राण रक्षा और सेवा में कोई कमी नहीं कर रहे हैं। सुरक्षा बलों ने बस्तर संभाग में पीड़ित मानवता की सेवा की कई मिसालें पेश की हैं। ऎसी ही नायाब मिसाल संभाग के नारायणपुर में हमें तब देखने को मिली जब नक्सली मोर्चे पर एवं देश की सुरक्षा में अपना तन मन समर्पित करने वाली भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के हिमवीरों ने जरुरतमंद महिला की जान अपना खून देकर बचा ली।जिस ग्रुप के खून की जरूरत महिला को थी, वह रेयरेस्ट श्रेणी में आता है। नक्सलियों के सफाये के साथ ही आईटीबीपी के जवान हर वक्त बस्तर के अपने ड्यूटी वाले क्षेत्र में निवासरत ग्रामीणों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। ये जवान दूरस्थ नक्सल प्रभावित अंचलों में सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन बड़ी तत्परता के साथ करते हैं। अपने सेवाभाव तथा जनकल्याणकारी नीतियों के कारण आईटीबीपी के जवान और अधिकारी क्षेत्र में लोगों के चहेते भी बन गए हैं। बीते 31 मार्च को स्व. बद्रीनाथ बघेल जिला चिकित्सालय नारायणपुर में प्रसव के लिए भर्ती ग्राम गोटा बेनूर निवासी सोमनाथ पोटाई की पत्नी सोनवती पोटाई को प्रसव के दौरान एबी पॉजिटिव रक्त की आवश्यकता थी। इस ग्रुप का रक्त अस्पताल के ब्लड बैंक में भी उपलब्ध नहीं था, क्योंकि यह रेयरेस्ट ग्रुप है और बहुत ही कम लोगों में एबी पॉजिटिव ग्रुप का खून पाया जाता है। खून की व्यवस्था के लिए सोमनाथ पोटाई दर दर भटकता रहा, मगर खून का इंतजाम नहीं हो पाया। बड़ी उम्मीद लिए सोमनाथ पोटाई आईटीबीपी की 53वीं वाहिनी के कैंप में पहुंचा और बल के जवानों तथा अधिकारियों को अपनी पीड़ा सुनाई। सोमनाथ की खुश किस्मती से 53वीं वाहिनी के जवान अमल साय का ब्लड ग्रुप भी एबी पॉजिटिव का मिल गया।
बल के अधिकारियों के मार्गदर्शन में अमल साय ने जिला चिकित्सालय नारायणपुर जाकर सोनवती रक्तदान किया। सोनवती पोटाई उसके पति सोमनाथ पोटाई और परिजनों ने भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल की 53वीं वाहिनी के कमांडेंट अमित भाटी एवं उनकी टीम का इस मानवीय योगदान के लिए आभार माना।