रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान जल जीवन मिशन के तहत केंद्रांश और राज्यांश की राशि को लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत और उपमुख्यमंत्री अरुण साव के बीच तीखी बहस हुई। डॉ. महंत ने सवाल उठाया कि अब तक केंद्रांश के रूप में कितनी राशि प्राप्त हुई है और राज्यांश की स्थिति क्या है?
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने जवाब देते हुए बताया कि फरवरी 2024 तक केंद्रांश के रूप में 191.59 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जबकि राज्यांश के रूप में 187.12 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। डॉ. महंत ने आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्रांश और राज्यांश की राशि बराबर होनी चाहिए, और आरोप लगाया कि 2250 करोड़ रुपये की राशि का वादा था, लेकिन डबल इंजन सरकार ने इसे पूरा नहीं किया।
अरुण साव ने अपनी सफाई में कहा कि भारत सरकार ने जल जीवन मिशन की अवधि 2028 तक बढ़ा दी है और अब तक इस योजना का 50-60% कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि 29126 योजनाएं स्वीकृत की गई हैं और 41 हजार से अधिक टैंक बनाए गए हैं, जबकि 5908 टंकियों का निर्माण पूरा होने के बावजूद जल आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई है।
डॉ. महंत ने सवाल किया कि अगर काम पूरा हो चुका है तो भुगतान क्यों नहीं किया गया? इस पर अरुण साव ने कहा कि भुगतान की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है, जो राशि की उपलब्धता पर निर्भर करती है। डॉ. महंत ने आरोप लगाया कि ठेकेदारों को पैसे नहीं मिलने के कारण काम धीमा हो गया है, और यही कारण है कि केंद्र सरकार भी राशि जारी नहीं कर रही है।
इस पर भाजपा विधायक राजेश मूणत ने कहा कि यह स्थिति पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों के कारण उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा, “जब आपकी सरकार थी, तब आप इसे नियंत्रित कर सकते थे, अब इसे हमारी जिम्मेदारी बनाना ठीक नहीं।” डॉ. महंत ने पलटवार करते हुए कहा, “कब तक पिछली सरकार का नाम लेकर बचेंगे? अगर कुछ गड़बड़ी हुई है तो सरकार जांच करवा सकती है।” विधायक धर्मजीत सिंह ने भी टिप्पणी की, “सरकार जांच की मांग करती है, फिर ईडी और सीडी के नाम पर प्रदर्शन कराती है।”