नारी के बेमिसाल हौसले की शानदार मिसाल बन गई संचिता यदु, उभरी सफल व्यवसायी बनकर

0 स्वरोजगार योजना की सहायता से पिता के व्यवसाय को बढ़ाया आगे 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। शहर की एक बेटी नारी के बेमिसाल हौसले की शानदार मिसाल बनकर उभरी है। संचिताआज एक सफल व्यवसायी बन चुकीहै। उसके हौसले को उड़ान स्वरोजगार योजना ने दी है।
नारी अब अबला नहीं रह गई है। आज मातृशक्ति हर क्षेत्र में कामयाबी के झंडे गाड़ रही है। जगदलपुर शहर के राजेंद्र प्रसाद वार्ड निवासी कुमारी संचिता यदु भी उन्हीं सफल मातृशक्ति में शामिल है। संचिता हायर सेकंडरी की पढ़ाई के बाद रोजगार की तलाश में थी, लेकिन वर्तमान समय में हर किसी को आसानी से रोजगार सुलभ होना मुश्किल है। यही स्थिति संचिता के साथ भी हुई, तो संचिता ने अपने पिता के आलू-प्याज एवं लहसुन अदरक के कारोबार को ही अपनाने की सोची, मगर इसमें धन की समस्या आड़े आ रही थी। इस बीच उसे शासन की मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के बारे में जानकारी मिली, तो उसे उम्मीद की किरण दिखाई दी और इस योजनांतर्गत लाभान्वित होकर आज संचिता अपने पैतृक व्यवसाय को एक नई दिशा दे चुकी है। संचिता बताती है कि पिता के देहांत के बाद परिवार में स्वयं के साथ माता एवं एक भाई सहित तीन सदस्यीय परिवार के भरण पोषण की चिंता थी। घर के अलावा कोई कृषि भूमि नही थी। परिवार की स्थिति को देखते हुए जीवन निर्वाह करने के लिए अतिरिक्त आय की जरूरत हो रही थी। बड़ी होने के कारण मुझे जिम्मेदारी लेनी पड़ी और मैं अपने पिता के आलू-प्याज एवं लहसुन व्यवसाय को आगे बढ़ाने की सोचते हुए काम चालू कर दिया। कुछ समय बाद दुकान चलाने के लिए पूंजी कम होने लगी, तभी बस्तर चेम्बर ऑफ कॉमर्स जगदलपुर में जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के अधिकारी से मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के शिविर से जानकारी मिली, उसके उपरांत इस योजना के अंतर्गत पूर्व से संचालित आलू-प्याज एवं लहसुन बिक्री व्यवसाय हेतु दो लाख रुपए ऋण राशि के लिए आवेदन किया और मुझे ऋण जनवरी 2023 को छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक अग्रसेन चैक जगदलपुर द्वारा इस योजना के अंतर्गत दो लाख रूपये की ऋण राशि स्वीकृत कर प्रदान की गई। उसके बाद उद्योग विभाग द्वारा एक सप्ताह का उद्यमिता विकास प्रशिक्षण दिया गया जिसमें मैंने पूर्ण उपस्थिति देकर प्रशिक्षण प्राप्त किया और मेरे वर्ग अनुसार मुझे 30 हजार रुपए का अनुदान प्रदान किया गया। संचिता ने बताया कि आज दुकान चलाते हुए करीब 3 साल हो चुके हैं और मैं अपने कारोबार की आय से समय पर ऋण राशि का पूर्ण भुगतान कर रही हूं। रोजाना दुकान से लगभग पांच से दस हजार रुपये की ब्रिकी होती है और मुझे हर दिन लगभग दो हजार रुपए की आमदनी हो जाती है। अब मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति भी पहले से अच्छी हो गई है और परिवार खुशहाल है।

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