रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के 12वें दिन भारतमाला परियोजना में कथित गड़बड़ी को लेकर सदन में भारी हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस घोटाले को बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र करार देते हुए CBI जांच की मांग की। उन्होंने कहा, “इस परियोजना में बड़े स्तर पर मिलीभगत हुई है और राजनीतिक दलों के लोग भी इसमें शामिल हो सकते हैं। दोषियों को किसी भी कीमत पर बचने का मौका नहीं मिलना चाहिए।”
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने सदन में स्वीकार किया कि भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी हुई है और कहा, “अधिसूचना के बाद भूमि के टुकड़े किए गए, अधिकृत भूमि का दोबारा अधिग्रहण किया गया और ट्रस्ट के बजाय ट्रस्ट के व्यक्ति को मुआवजा मिला।” उन्होंने यह भी बताया कि डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी पर कार्रवाई की जा चुकी है, लेकिन विपक्षी दल इससे संतुष्ट नहीं हुए।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने कहा, “जिम्मेदार अधिकारियों पर सिर्फ निलंबन नहीं, बल्कि FIR दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाए। निलंबन का नाटक करके दोषियों को बचाया नहीं जाना चाहिए। मैं सरकार से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि CBI जांच की सहमति दे।”
इस पर सत्तापक्ष के विधायक रिकेश सेन ने कटाक्ष करते हुए कहा, “जो लोग CBI को बैन कर चुके थे, उन्हें अचानक अब केंद्रीय एजेंसियों पर विश्वास कैसे हो गया?” कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने भी सवाल उठाया कि इस मामले की जांच की दिशा और दायरा क्या होगा?
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सदन में यह भरोसा दिलाया कि जांच में कोई कोताही नहीं होगी, लेकिन CBI जांच पर उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। अंत में मंत्री टंकराम वर्मा ने इस मामले की जांच आयुक्त से कराने की घोषणा की। इससे असंतुष्ट होकर नेता प्रतिपक्ष महंत ने कहा कि अगर सरकार CBI जांच नहीं कराएगी, तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। इसके बाद विपक्षी दलों के सदस्य सदन से वॉकआउट कर गए।