रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के छठवें दिन महतारी वंदन योजना को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच जोरदार बहस हुई। कांग्रेस ने योजना में गड़बड़ियों और लाभार्थियों की संख्या में आई कमी को लेकर सरकार को घेरा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि पेंशनधारी महिलाओं को योजना का पूरा लाभ नहीं मिल रहा और कई अपात्र लाभार्थियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। जब सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं मिला, तो कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर विरोध जताया।
कांग्रेस का आरोप : पेंशनधारियों को नहीं मिल रहा पूरा लाभ
कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने सवाल उठाते हुए कहा कि योजना की पात्रता को लेकर सरकार की नीतियां अस्पष्ट हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पेंशनधारी महिलाओं को 1000 रुपये की पूरी राशि नहीं मिल रही, बल्कि पेंशन की राशि काटकर अंतर की राशि दी जा रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई फर्जी लाभार्थी इस योजना में पंजीकृत पाए गए हैं, जिससे वास्तविक लाभार्थियों को नुकसान हो रहा है।
सरकार की सफाई : पात्रता और सत्यापन के कारण घटे लाभार्थी
महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि योजना के तहत पहले 70,27,154 महिलाओं का पंजीकरण हुआ था, जिनमें से सत्यापन के बाद 69,63,621 पात्र पाए गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि लाभार्थियों की संख्या में कमी का कारण लाभार्थियों की मृत्यु, दोहरी पंजीकरण, स्वैच्छिक लाभ त्याग और पात्रता मानकों का पालन न करना है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि बस्तर जिले में कुछ फर्जी नाम सामने आए हैं, जिन पर कार्रवाई की गई है।
विपक्ष की मांग: स्पष्ट नीति और ठोस जवाब
कांग्रेस विधायकों ने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि पेंशनधारी महिलाओं को योजना का पूरा लाभ मिलेगा या नहीं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार पात्रता के मानक बार-बार क्यों बदल रही है। जब विपक्ष ने फर्जी लाभार्थियों की विस्तृत जानकारी मांगी, तो मंत्री ने जवाब दिया कि विभाग ने जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है।
सदन में हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट
सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी विधायकों ने सदन में नारेबाजी की और हंगामा किया। जब सरकार ने पेंशनधारी महिलाओं को योजना का पूरा लाभ देने को लेकर कोई ठोस घोषणा नहीं की, तो कांग्रेस ने विरोध स्वरूप सदन से वॉकआउट कर दिया।
इस विवाद के बाद महतारी वंदन योजना की पारदर्शिता और क्रियान्वयन को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ गया है। विपक्ष का कहना है कि अगर सरकार जल्द ही कोई ठोस फैसला नहीं लेती, तो वे इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाएंगे।