विधानसभा में जल जीवन मिशन पर हंगामा, सत्ता पक्ष के ही विधायक मंत्री से नाखुश

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन जल जीवन मिशन के अधूरे कार्यों को लेकर सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही विभागीय मंत्री अरुण साव को घेर लिया। प्रश्नकाल के दौरान इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई, जिसमें अधूरे कार्यों, ठेकेदारों की लापरवाही और योजनाओं की धीमी प्रगति को लेकर सवाल उठाए गए। दोनों पक्षों के विधायकों ने जल जीवन मिशन के लंबित कार्यों पर सवाल किए, विशेष रूप से यह पूछा कि कितने गांवों में जल आपूर्ति अब तक सुनिश्चित की जा चुकी है और किन कारणों से कई क्षेत्रों में काम अधूरा पड़ा है।

पीएचई मंत्री अरुण साव ने जवाब देते हुए बताया कि जल जीवन मिशन के तहत 19,656 गांवों को योजना में शामिल किया गया था और यह योजना 2024 तक पूरी होनी थी, लेकिन अब इसे 2028 तक बढ़ा दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि अब तक 80.03% घरों तक नल कनेक्शन पहुंच चुका है और ट्यूबवेल खनन का कार्य 2023 से शुरू हुआ है, जिसमें आधा काम पूरा हो चुका है। मंत्री ने यह भी बताया कि योजना के तहत 2711 पानी टंकियों का निर्माण किया गया है और 351 ठेकेदारों का अनुबंध रद्द किया गया है, जबकि 15 ठेकेदारों को पूरी तरह बाहर कर दिया गया है। इसके बावजूद, कई जगहों पर जल जीवन मिशन का काम अधूरा पड़ा है, जिस पर विधायकों ने नाराजगी जताई।

विपक्ष का तीव्र हमला, भाजपा विधायक ने कहा ‘खुला करप्शन’
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने मंत्री से सवाल करते हुए कहा कि चार महीने पहले विस्तृत जानकारी देने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि कितने गांवों में जल स्रोत नहीं हैं और कहां-कहां पाइप लाइन और टंकी का निर्माण हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) में जल स्रोत चिन्हित न होने के बावजूद पाइपलाइन बिछा दी गई और टंकी बना दी गई। इसे उन्होंने ‘खुला करप्शन’ करार देते हुए अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

मंत्री अरुण साव ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि किसी भी ठेकेदार ने 70% से कम काम किया है, उसे भुगतान नहीं किया जाएगा और जल स्रोत की अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने मंत्रियों को निर्देश दिए कि विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब समय पर और उचित तरीके से दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले सत्रों में कई बार आश्वासन दिए गए थे, लेकिन जानकारी समय पर नहीं भेजी गई, जो कि उचित नहीं था।

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