0 नदी सूखने से किसानों को भारी नुकसान, सैकड़ों एकड़ की फसल प्रभावित
(अर्जुन झा) जगदलपुर। इंद्रावती नदी तेजी से सूखती जा रही है, पानी के बिना फसलें झुलसने लगी हैं और किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं। सैकड़ों एकड़ रकबे में ली गई मक्का, गेहूं, सब्जियों और रबी धान की फसलों को बचाने की चिंता में किसान घुले जा रहे हैं।
इंद्रावती के जलस्तर में भारी गिरावट आ जाने के कारण बस्तर विकासखंड के कई गांवों में सिंचाई संकट गहरा गया है। लामकेर, भोंड, नदीसागर सहित नदी तट के समीप बसे अनेक गांवों के किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए जरूरी पानी नहीं मिल पा रहा है, जिससे सैकड़ों एकड़ की फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई है। इन गांवों के किसान सिंचाई के लिए इंद्रावती नदी पर ही निर्भर हैं। लेकिन इस बार पानी की भारी कमी के कारण धान, गेहूं, मक्का,सब्जियों और अन्य फसलों पर संकट गहरा गया है। किसानो ने बताया कि यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी और उन्हें आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
जनपद सदस्य एव सरपंच ने उठाई आवाज
नव निर्वाचित जनपद सदस्य क्षेत्र क्रमांक 22 हेमराज बघेल और ग्राम पंचायत लामकेर के सरपंच लक्ष्मण कश्यप ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए वे जल्द ही किसानों के साथ मिलकर कलेक्टर बस्तर एवं जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप को ज्ञापन सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो जाएगी।
जल्द उठाएं कदम : विधायक
क्षेत्र के विधायक लखेश्वर बघेल ने इस संबंध में किसानों की परेशानियों को दूर करने उचित पहल करने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि लगातार गिरते भूजल स्तर और जल संचयन की कमी एनीकट में पानी का रुकाव न होने के कारण सिंचाई संकट बढ़ता जा रहा है। सरकार और प्रशासन को जल संरक्षण एवं प्रबंधन की दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े।
किसानों की मांग
किसानों ने प्रशासन से जल्द से जल्द नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करने, नहरों और तालाबों का गहरीकरण कराने तथा वैकल्पिक सिंचाई साधन विकसित करने की मांग की है। यदि समय रहते समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में बस्तर के किसानों को और गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।