0 मनभावन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ चित्रकोट महोत्सव काआगाज
जगदलपुर। सांसद बस्तर महेश कश्यप ने कहा कि चित्रकोट महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि बस्तर की समृद्ध लोक संस्कृति को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम बन गया है। यह आयोजन न केवल बस्तर की पहचान को नए आयाम दे रहा है, बल्कि प्रदेश के कलाकारों सहित स्थानीय कलाकारों को भी अपनी कला प्रस्तुत करने का बेहतर मंच प्रदान कर रहा है। साथ ही यहां के युवाओं को खेलकूद और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में सहभागिता निभाने के लिए सुअवसर मिल रहा है। बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और उसे विश्व पटल पर स्थापित करने की यह पहल निस्संदेह एक प्रेरणादायक कदम है, जो आने वाले वर्षों में और भी व्यापक स्वरूप लेगी।
उक्त बातें सांसद महेश कश्यप सोमवार को विश्व प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात के तट पर 24 से 25 फरवरी तक आयोजित दो दिवसीय चित्रकोट महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही।सांसद श्री कश्यप ने कहा कि जनता के विश्वास, शांति और सुरक्षा सहित विकास की जवाबदेही सरकार की है। साथ ही कला-संस्कृति, परम्परा और रीति-रिवाज के संरक्षण की जिम्मेदारी भी है। इसी अनुक्रम में आयोजित यह चित्रकोट महोत्सव बस्तर की पहचान को एक नए आयाम प्रदान कर रहा है। बस्तर को संवारने के लिए सरकार हर सम्भव पहल कर रही है और जल्द ही समूचे बस्तर में अमन-चैन एवं शांति स्थापित हो जाएगी और बस्तर के चंहुमुखी विकास में हम सभी सहभागिता निभाएंगे।
ज्ञात हो कि विश्व प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात के तट पर 24 से 25 फरवरी तक आयोजित चित्रकोट महोत्सव में न केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति हो रही है, बल्कि स्थानीय युवाओं द्वारा खेलकूद एवं रचनात्मक गतिविधियों में अपनी अदभुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया जा रहा है। साथ ही आम नागरिक और पर्यटक पैरामोटर राईड एवं नौकायन जैसी गतिविधियों में हिस्सा लेकर रोमांच का अनुभव कर रहे हैं।
संस्कृति और परंपरा का अनूठा संगम
चित्रकोट महोत्सव का उद्देश्य बस्तर की अनमोल सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। साथ ही पर्यटकों को बस्तर की खूबसूरती की ओर आकर्षित करना भी है। चित्रकोट महोत्सव के दौरान लोक नृत्य, पारंपरिक संगीत और लोक कलाओं का प्रदर्शन कर दर्शकों को बस्तर की सांस्कृतिक विविधता से परिचित कराया जा रहा है। महोत्सव में प्रसिद्ध गायक अनुराग शर्मा ने अपनी सुरीली आवाज़ से समां बांध दिया। इनके अलावा स्थानीय कलाकारों ने भी पारंपरिक वाद्य यंत्रों और लोकगीतों के माध्यम से बस्तर की सांस्कृतिक धड़कन को मंच पर उतारा। वहीं स्कूली छात्र-छात्राओं ने भी अपनी आकर्षक प्रस्तुतियों के जरिए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
व्यंजनों और हस्तशिल्प का प्रदर्शन
महोत्सव के दौरान बस्तरिहा व्यंजन, स्थानीय हस्तशिल्प और पारंपरिक परिधान प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जिससे आगंतुकों को बस्तर की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि का अनुभव मिल रहा है। इससे न केवल स्थानीय ग्रामीणों एवं कारीगरों को प्रोत्साहन मिल रहा है, बल्कि उनकी हुनर एवं कला को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलने का मार्ग भी प्रशस्त हो रहा है।चित्रकोट महोत्सव के माध्यम से बस्तर को सांस्कृतिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। यह आयोजन पर्यटकों को बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर सहित स्थानीय व्यंजनों के प्रति आकर्षित कर रही है। जिससे स्थानीय ग्रामीणों की आमदनी को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। महोत्सव के सफल आयोजन के लिए स्थानीय प्रशासन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसे वार्षिक आयोजन के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया गया है, जिससे बस्तर की लोक संस्कृति को और भी व्यापक स्तर पर प्रचारित किया जा सके।