0 भारतीय जनता पार्टी के बागी नेताओं का दिखा दम
0 भाजपा के फैसले पर खड़े होने लगे हैं अब सवाल
बकावंड। जिला पंचायत बस्तर के दो निर्वाचन क्षेत्रों से भाजपा के दो बड़े बागी नेताओं की जीत ने भाजपा के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस चुनाव में निर्वाचित भाजपा नेत्री सारिता पाणिग्रही और बनवासी मौर्य की शानदार जमीनी पकड़ देखने को मिली है। ये दोनों निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं और आज भी उनके मन में भारतीय जनता पार्टी के प्रति उतनी ही आस्था है, जितनी पहले थी। इन दोनों नेताओं की बकावंड ब्लॉक में जमीनी पकड़ बेहद मजबूत है और इसी के दम पर वे चुनाव जीतकर आए हैं।
जिला पंचायत बस्तर के चुनाव के अंतिम चरण में क्षेत्र क्रमांक 8 से सरिता जितेंद्र पाणिग्रही ने बीजेपी समर्थित प्रत्याशि को बड़े अंतर से हरा दिया है। वहीं क्रमांक 9 से बनवासी मौर्य ने भी बीजेपी समर्थित प्रत्याशी को पराजित किया है। इन क्षेत्रों के लोगो का कहना है कि इन दोनों ने बागी होकर भी अपने अपने क्षेत्र में कमल खिला दिया है। जानकारों का कहना है कि किसी कारण या राजनीतिक विरोध के चलते इन्हें पार्टी के जिला संगठन के कुछ लोगो द्वारा दरकिनार किया गया था, अतः इन्हें बीजेपी का समर्थन नहीं मिला किंतु इन्होंने अपनी पकड़ बनाई है और अपनी जीत सुनिश्चित कर ली। सारिता पाणिग्रही, उनके पति जितेंद्र पाणिग्रही और बनवासी मौर्य बस्तर जिले में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। ये भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं। जितेंद्र और सारिता पाणिग्रही तथा बनवासी मौर्य शुरू से भाजपा से जुड़े रहे हैं और हमेशा पार्टी के सिद्धांतों पर चलते हुए जनसेवा में अग्रणी रहे हैं। समाज के हर वर्ग के सुख दुख में ये तीनों नेता हमेशा सहभागी बनकर उनका कष्ट हरते रहे हैं। जनपद व जिला पंचायत और जिला प्रशासन के सहयोग से जन समस्याओं को दूर करने के लिए भी वे हमेशा तत्पर रहते रहे हैं। यही वजह है कि जनता के बीच उनकी लोकप्रियता आसमानी बुलंदियों तक पहुंच चुकी है। यही छवि और लोकप्रियता सारिता पाणिग्राही एवं बनवासी मौर्य की जीत के मुख्य कारक रहे हैं। सारिता और बनवासी की इस जीत ने भाजपा के प्रत्याशी चयन के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर पार्टी ने किस मापदंड के तहत प्रत्याशी चुने थे। वैसे ये दोनों अभी भी पार्टी के प्रति निष्ठावान हैं, बशर्ते पार्टी नेतृत्व उनके सम्मान का ध्यान रखे।