रायपुर। कल्चरल मार्क्सवाद स्टडी सर्कल की ओर से आज रायपुर के स्वदेशी भवन में ब्रेन स्ट्रामिंग सत्र का आयोजन किया गया जिसमें वर्तमान परिस्थितियों में कल्चरल मार्क्सवाद का समाज के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभाव को लेकर विशेषज्ञो ने अपनी राय रखी। कल्चरल मार्क्सवाद स्टडी सर्कल द्वारा आयोजित इस ब्रेन स्ट्रामिंग सत्र में विभिन्न विशेषज्ञों ने इस विचारधारा के वर्तमान प्रभावों पर गहराई से चर्चा की। कैलाशचंद्र ने अपने उद्बोधन में भारत की सांस्कृतिक एकता और धर्म के महत्व को रेखांकित किया, जबकि सतीश गोकुल पंडा ने मार्क्सवाद के विकास और उसके सांस्कृतिक आयामों का विश्लेषण किया। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे कल्चरल मार्क्सवाद ने समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित किया है। उन्होंने इसे एक वैश्विक खतरे के रूप में देखा, जिसका सामना हमारी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए किया जाना चाहिए। गोपाल और डॉ. वर्णिका शर्मा ने इस मुद्दे पर अहम जानकारी साझा की और बताया कि कैसे इस विषय को समझने के लिए अध्ययन और चर्चा की आवश्यकता है। अक्षता पुण्डरीक, गौरव सिंघल, देवेंद्र सिंह और प्रकाश राव जैसे वक्ताओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में कल्चरल मार्क्सवाद के नकारात्मक प्रभावों का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कैसे यह विचारधारा राजनीति, मीडिया, कानून और संस्कृति में असमानताओं और भ्रांतियों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि इस सत्र का उद्देश्य न केवल जागरूकता फैलाना था बल्कि इस विचारधारा के खिलाफ एक ठोस रणनीति विकसित करना भी था। विशेषज्ञों ने सभी के सहयोग से एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करने का आह्वान किया।