आजादी के बाद पहली बार हो रहा है नक्सलियों की नर्सरी पूवर्ती गांव में मतदान

०  टॉप नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव में वोटिंग
०  हिड़मा जैसे कई टॉप नक्सली पैदा हुए हैं यहां 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। जिस गांव में कभी परिंदे भी पर मारने से कतराते थे, जहां नक्सलियों की तूती बोला करती थी, उस गांव में देश की आजादी के बाद पहली बार मतदान हो रहा है। लोकतंत्र के इस महायज्ञ में ग्रामीण बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। ये गांव है नक्सलियों की नर्सरी कहे जाने वाले पूवर्ती। पूवर्ती टॉप नक्सली कमांडर हिड़मा का गृहग्राम है। हिड़मा के साथ ही कई और भी खूंखार नक्सली इस गांव में पैदा हुए और पले बढ़े हैं।
बस्तर संभाग का सुकमा जिला नक्सल घटनाओं के मामले में देश का सबसे संवेदनशील जिला माना जाता है। इस जिले में स्थित पूवर्ती की तो बात ही कुछ और है। देश के विभिन्न भागों में सक्रिय कई बड़े नक्सली लीडर इसी गांव की पैदाईश हैं। हिड़मा टॉप नक्सली कमांडर है और वह पूवर्ती गांव में ही पैदा हुआ है। पुलिस और सुरक्षा बलों की मोस्ट वांटेड नक्सलियों की लिस्ट में हिड़मा का नाम शीर्ष पर है और उस पर संभवतः एक करोड़ का ईनाम घोषित है। कुछ ही दिनों पहले बालाघाट जिले में हॉकफोर्स के साथ मुठभेड़ में मारी गई चार महिला नक्सलियों में 20 लाख की ईनामी कान्हा भोरमदेव डिवीजन की कमांडर आशा 14 लाख की ईनामी सारिता उर्फ शीला उर्फ पदम और 14 लाख की ईनामी लक्खे मरावी सुकमा जिले की ही थीं। पूवर्ती में नक्सली खेती किसानी भी करते रहे हैं। हिड़मा की मां अभी पूवर्ती में ही रहती है। बताते हैं कि मध्यप्रदेश में सक्रिय नक्सलियों में 80 प्रतिशत नक्सली बस्तर संभाग के हैं और उनमें भी ज्यादातर सुकमा जिले के ही हैं। पूवर्ती गांव में सुरक्षा बलों का कैंप स्थापित हो चुका है और वहां की फिजा बदल चुकी है। इस गांव में कभी पंच सरपंच तक के लिए भी मतदान नहीं हुआ था, विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए मतदान तो दूर की बात। आजादी के बाद पहली बार पूवर्ती में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत आज बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से मतदान हो रहा है। मतदान केंद्र में सुबह से ग्रामीणों की कतार लगी हुई है। लोग पूरे उत्साह के साथ मतदान कर रहे हैं। इलाके की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से बड़ी संख्या में जवान तैनात किए गए हैं।

गृहमंत्री विजय शर्मा जा चुके हैं पूवर्ती

पूवर्ती सुकमा जिले का दुर्गम गांव रहा है। वहां कभी प्रशासनिक अमला नहीं पहुंच पाया था। वजह सिर्फ नक्सलियों का खौफ। देश और छत्तीसगढ़ राज्य में भाजपा की सरकार आने तथा नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई शुरू कर देने के बाद पूवर्ती समेत बस्तर संभाग के पचासों अति नक्सल प्रभावित गांवों में बदलाव की बयार बहने लगी है। जिन गांवों में परिंदे भी नक्सलियों की इजाजत के बिना पर नहीं मार सकते थे, उन गांवों में अमन कायम हो चुका है। ग्रामीणों के बीच से नक्सलियों की दहशत दूर हो चुकी है और वे मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। विजय शर्मा छत्तीसगढ़ के पहले उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री हैं, जिन्होंने नक्सल गढ़ पूवर्ती में कदम रखे थे। वहां विजय शर्मा ने जमीन पर बैठकर ग्रामीणों का दुख दर्द सुना था। इसके बाद से ही वहां के ग्रामीणों का भरोसा शासन प्रशासन पर बढ़ गया है। पंचायत चुनाव में पूवर्ती के ग्रामीणों की सहभागिता इस बात का सबूत है।

फोर्स ने किया था हिड़मा की मां का इलाज

पूवर्ती गांव के पास ही पिछले साल सीआरपीएफ का कैंप स्थापित हुआ है। तभी से सीआरपीएफ की मेडिकल टीम और जवान पूवर्ती समेत आसपास के ग्रामीणों की सेवा के कार्य कर उनका विश्वास जीतने में लगे हैं। लगभग सालभर पहले पुलिस और प्रशासन के कुछ बड़े अधिकारी पूवर्ती पहुंचे थे। तब वहां सीआरपीएफ की मेडिकल टीम ने स्वास्थ्य जांच एवं उपचार शिविर लगाया था। इस शिविर में नक्सली कमांडर हिड़मा की वयोवृद्ध मां भी इलाज कराने पहुंची थी। सीआरपीएफ की मेडिकल टीम और जवानों ने समर्पण भाव से हिड़मा की मां समेत सभी ग्रामीणों का उपचार किया था और दवाएं भी दी थी। अब इस गांव में जवानों की आमदरफ्त लगातार बनी रहती है और गांव के युवक बल के जवानों के साथ दोस्ताना व्यवहार करने लगे हैं।

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