भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती बन गए हैं बनवासी मौर्य, मिल रहा है व्यापक जनसमर्थन

0  जिला पंचायत के क्षेत्र -9 से उम्मीदवार हैं बनवासी 
0  काम आ रही है क्षेत्र में उनकी सतत सक्रियता
(अर्जुन झा)बकावंड। पंचायत चुनाव के घमासान के बीच जिला पंचायत सदस्य हेतु चल रहे चुनाव में क्षेत्र क्रमांक 9 से भाजपा समर्थित प्रत्याशी हेमकांत ठाकुर, कांग्रेस समर्थित तुलाराम सेठिया के साथ निर्दलीय बनवासी मौर्य मैदान पर हैं। लंबे समय से बीजेपी से जुड़े होने के बावजूद पार्टी का साथ न मिलने पर बनवासी मौर्य ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्हे व्यापक जनसमर्थन भइ मिलता दिख रहा है कई पंचायतों में उनके द्वारा कराए गए कार्यों को लोग अभी भूले नहीं है।
32 ग्राम पंचायतों ओर 53 बूथों वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में 40 हजार 328 मतदाता हैं।एक सर्वे के अनुसार मुरिया आदिवासी बाहुल्य इस इलाके में खुद बनवासी मौर्य इसी आदिवासी समुदाय के हैं। इस कारण वे इस चुनाव में खासे लोकप्रिय साबित हो रहे हैं। मूलभूत समस्याओं को लेकर लगातार अपने इलाके में सक्रिय रहे हैं। उनका योगदान इस चुनाव में उनके काम आ रहा है। बनवासी मौर्य इस क्षेत्र के कद्दावर भाजपा नेता रहे हैं।40 साल तक भाजपा के लिए अपनी युवावस्था और जवानी खपा देने वाले संघर्षशील नेता बनवासी मौर्य का बागी तेवर भाजपा ही नहीं, कांग्रेस के लिए भी चुनौती का सबब बन गया है।
बनवासी की बगावत के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष बढ़ गया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंडल अध्यक्ष रहे बनवासी मौर्य को भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। बनवासी मौर्य 1985 से बीजेपी के प्राथमिक सदस्य रहे हैं और उन्होंने संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वे बूथ अध्यक्ष, मंडल उपाध्यक्ष, बकावंड से एसटी मोर्चा अध्यक्ष और वर्तमान में बस्तर संभाग के सह-प्रभारी के रूप में सक्रिय रहे हैं। मगर पार्टी द्वारा उपेक्षा किए जाने के कारण उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है।. उनका यह फैसला भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए भारी पड़ता नजर आ रहा है।बीजेपी ने जिला पंचायत सदस्य के लिए हेमकांत सिंह ठाकुर को टिकट दिया है, लेकिन कार्यकर्ताओं में असंतोष साफ नजर आ रहा है। बनवासी मौर्य 40 वर्षों से संगठन के प्रति समर्पित रहे हैं, जबकि हेमकांत सिंह को पार्टी से जुड़े मात्र 5 वर्ष हुए हैं। कार्यकर्ताओं का मानना है कि मौर्य की पकड़ जनता में कहीं अधिक मजबूत है।बीजेपी के फैसले से असंतुष्ट कई कार्यकर्ता मौर्य के समर्थन में खुलकर आ चुके हैं।

जन मुद्दों पर जोर, विकास का वादा
बनवासी मौर्य ने किसानों, युवाओं और महिलाओं के विकास को अपनी प्राथमिकता में रखा है। उनके प्रमुख चुनावी मुद्दे इस प्रकार हैं- किसानों के लिए न्याय, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 5,931 किसानों को अपात्र घोषित कर दिया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई थी। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने और उलनार में कॉलेज स्थापना के लिए संघर्षरत हैं। धोबीगुड़ा से तारापुर सड़क के चौड़ीकरण की मांग को प्रमुखता दी है।महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा, शौचालयों की उचित व्यवस्था, पेयजल और बिजली की समस्याओं के समाधान का संकल्प लिया है। सरकारी योजनाओं को हर जरूरतमंद तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता जताई है।

बीजेपी कार्यकर्ताओं का समर्थन
बनवासी मौर्य के समर्थन में बड़ी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता जुट चुके हैं, जो उन्हें निर्विरोध विजयी बनाने की अपील कर रहे हैं।नामंकन भरने के दिन भव्य बाइक रैली निकालकर सर्व प्रथम बस्तर की आराध्य देवी, मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद लिया गया, जिससे पूरे क्षेत्र में चुनावी माहौल गर्म हो गया है। 40 वर्षों से बीजेपी के अनुयायी रहे बनवासी मौर्य की अनदेखी करना पार्टी के लिए एक बड़ी रणनीतिक गलती साबित हो सकती है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का मानना है कि अगर बीजेपी ने उन्हें उचित सम्मान दिया होता, तो यह बगावत देखने को न मिलती। अब देखने वाली बात यह होगी कि बीजेपी इस चुनौती से कैसे निपटती है, और क्या बनवासी मौर्य की बढ़ती लोकप्रियता उन्हें ऐतिहासिक जीत दिला पाएगी?

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