छत्तीसगढ़ की जनता और कांग्रेस देखती आई है टीएस सिंहदेव की चाल, ‘बाबागिरी’ में तबाह हो जाएगी पार्टी

0 अपनी पार्टी और सरकार की चूलें हिलाने वाले चले मठाधीश बनने 

0 आदिवासी समाज में घट जाएगी लोकप्रियता 

(अर्जुन झा) जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के एक बड़े नेता पिछले कुछ दिनों से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं। ये नेता हैं टीएस सिंहदेव बाबा। सिंहदेव की चालें भूपेश बघेल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ की जनता और कांग्रेस ने बखूबी देखी है कि कैसे उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार और कांग्रेस की चूलें हिलाने की कैसी कोशिश की थी। अगर राज्य में कांग्रेस की कमान उनके हाथों में आई तो बाबा गिरी के मायाजाल में उलझ कर कांग्रेस निश्चित रूप से तबाह हो जाएगी।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कुछ माह से उठा पटक की राजनीति चल रही है। कुछ बड़े कांग्रेस नेताओं में सत्ता से दूर हो जाने की खिसियाहट साफ झलक रही है। अब यही नेता राज्य में कांग्रेस का बेड़ागर्क करने पर तुल गए हैं। वरिष्ठ नेता डॉ. चरणदास महंत के यह कहने के बाद कि अगला चुनाव टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, बाबा यानि टीएस सिंहदेव तो बल्लियों उछलने लग गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की लालसा उनमें बेतहाशा बलवती हो उठी है। वे खूब उछलने लगे हैं। पिछली बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अप्रत्याशित हार के मुख्य कारकों में से एक टीएस सिंहदेव की कार्यशैली भी है। बाबा ने उस समय भी हल्ला मचाकर हार का ठीकरा पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज के सिर पर फोड़ने की कोशिश की थी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कार्यकाल में टीएस सिंहदेव द्वारा किए गए कारनामों की जानकारी कांग्रेस हाई कमान को समय पर भेज दी थी। इससे पहले कांग्रेस को मिली बड़ी जीत के बाद भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाने के कांग्रेस नेतृत्व के फैसले के विरोध में टीएस सिंहदेव मुखर होकर खड़े हो गए थे। तब उनकी चाहत मुख्यमंत्री बनने की थी। कांग्रेस नेतृत्व ने ढाई ढाई साल वाला फार्मूला अपनाते हुए उन्हें ढाई साल बाद उप मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया। तब बाबा थोड़ा शांत हुए। ढाई साल पूरा होने के कुछ ही दिन गुजरने के बाद डिप्टी सीएम बनने के लिए वे फिर सार्वजनिक रूप से हाय तौबा मचाने लगे। उनकी हरकतों की वजह से उस समय जनमानस के बीच कांग्रेस की छवि सत्ता लोलुप दल के रूप में बन गई थी।अब निकाय चुनाव निपटने के बाद फिर बाबा पद के लिए लालायित हो उठे हैं।इनकी करनी को सारे कांग्रेसी अच्छी तरह समझ रहे हैं। लोगों का कहना है कि टीएस सिंहदेव वो नेता हैं, जो संघर्ष के समय पार्टी से दूरी बनाकर तमाशा देखने में लग जाते हैं और पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करने वाले नेताओं के खिलाफ माहौल खड़ा करने के लिए दूसरे के कंधे का इस्तेमाल करने से नहीं चूकते हैं। निकाय चुनाव के दौरान बाबा ने पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा के जरिए शिगूफा छोड़ दिया कि टिकिट वितरण में लेनदेन हुआ है। जबकि सब जानते हैं कि कुलदीप जुनेजा किस चरित्र के स्वामी हैं। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने अपनी मर्जी से निकाय चुनाव में किसी को भी टिकट नहीं दिया था। टिकट वितरण के लिए संबंधित क्षेत्र के राज्य व राष्ट्र स्तर के नेताओं को संभाग व जिलेवार अधिकृत किया गया था। इन नेताओं की पसंद के ही उम्मीदवार उतारे गए। फिर इसमें लेनदेन की बात कहां नजर आती है? लेनदेन हुआ भी होगा तो वही नेता जानेंगे, जिनकी सूची के मुताबिक उम्मीदवार तय किए गए हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज पार्टी को जीवंत, मजबूत और जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। हसदेव अरण्य, कवर्धा कांड, बलौदा बाजार कांड सरीखे अन्य बड़े मुद्दों को लेकर दीपक बैज लगातार मुखर रहे हैं। उन्होंने बाबा गुरु घासीदास की तपोभूमि से रायपुर तक छत्तीसगढ़ न्याय पदयात्रा, बस्तर के नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ नगरनार से जगदलपुर तक पदयात्रा निकाली। कार्यकर्ताओं और सूबे की अवाम तक यह संदेश पहुंचाने में दीपक बैज सफल रहे हैं कि कांग्रेस अभी न टूटी है न कमजोर हुई है, एक सशक्त विपक्ष के रूप में सीना तानकर खड़ी है। ऐसे में अनावश्यक रूप से टीएस सिंहदेव बाबा स्वयंभू मठाधीश बनने की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं। पूरे 5 साल तक जिन्होंने पार्टी को परेशान किया, सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की वही अब अपने आप को पाक साफ साबित करते हुए अध्यक्ष बनने की कवायद रहे हैं। ये वही बाबा हैं जिन्होंने मंत्री मंडल से क्षणिक इस्तीफा देकर पीएम आवास के मामले में कांग्रेस को भरी विधानसभा में नीचा दिखाने का प्रयास किया था।किंतु खुद ही अपना इस्तीफा वापस लेकर पार्टी की नजर में वे मौका परस्त साबित हुए। चुनाव के पहले मोदी की तारीफ ओर चुनाव पश्चात सीएम विष्णुदेव साय की सराहना करने वाले को पार्टी आलाकमान आखिर कैसे प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देगा? अगर दे भी देता है तो बाबा गिरी के मायाजाल में उलझ कर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस तबाह और बर्बाद हो जाएगी। भाजपा के आदिवासी मुख्यमंत्री के सामने कांग्रेस ने आदिवासी समाज से अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, जो लगातार अपने स्तर पर पार्टी को नए सिरे से खड़े करने के लिए दिनरात एक किए हुए हैं। आदिवासी नेता दीपक बैज को अगर हटाया जाता है तो यह कांग्रेस के लिए अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा। आदिवासी समाज का मसीहा कही जाने वाली कांग्रेस को अपनी यह पहचान खोनी पड़ सकती है।अब राजा नहीं जनता के कारण सरकार बनती है और जाती भी है।अतः अगर बेहतर ढंग से चल रहे संगठन को अगर किसी राजा को सौंपा जाएगा तो पार्टी आलाकमान के फैसले को लेकर कई प्रकार की चर्चा जरूर होगी।

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