ढीले हो गए नक्सलियों के सारे नट बोल्ट

 

0  पीएलजीए बटालियन-1 के 9 हार्डकोर नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण 
0 आत्मसमर्पित नक्सलियों पर शासन द्वारा घोषित है 52 लाख रूपये ईनाम 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। छत्तीसगढ़ शासन की छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति एवं नियद नेल्ला नार योजना से प्रभावित होकर तथा अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना और पुलिस एवं फोर्स के बढ़ते प्रभाव ने नक्सलियों के सारे नट बोल्ट ढीले कर दिए हैं। नक्सलियों की स्लीपर सेल के साथ ही हार्डकोर नक्सली भी तेजी से आत्मसमर्पण कर रहे हैं।बस्तर संभाग के सुकमा जिले में फिर नौ हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। आत्मसमर्पित 2 पुरूष एवं 4 महिला नक्सलियों पर 8-8 लाख, 1 महिला पर 2 लाख, दो महिला नक्सलियों पर 1-1 लाख समेत कुल 52 लाख रूपये के ईनाम घोषित हैं।
नक्सलियों को आत्मससमर्पण हेतु प्रोत्साहित करने में डीआरजी, नक्सल सेल आसूचना शाखा, टीम थाना चिंतागुफा एवं सीआरपीएफ, की दूसरी वाहिनी, 204 कोबरा वाहिनी आसूचना शाखा की विशेष भूमिका रही है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक नक्सली दंपत्ति भी शामिल है। गौरतलब है कि जबसे राज्य में भाजपा की सरकार आई है और विजय शर्मा को गृहमंत्री बनाया गया है तबसे लगातार पुलिस एवं सुरक्षा बलों को एंटी नक्सल ऑपरेशन में लगातार कामयाबी मिल रही है। मुठभेड़ों में बड़ी संख्या में नक्सली मारे जा रहे हैं, उनकी हथियार फैक्ट्री और असलहों के भंडार पकड़े जा रहे हैं, ट्रेनिंग कैंप और स्मारकों पर बुलडोजर चल रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की योजनाओं और उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा की कुशल रणनीति के चलते जहां पुलिस और सुरक्षा बलों का जोश आसमानी बुलंदियों पर है, वहीं नक्सलियों का मनोबल धराशायी हो गया है। फोर्स की पैठ ऐसे बीहड़, दुर्गम इलाकों में हो चुकी है, जहां नक्सलियों का बोलबाला रहा है। साय सरकार की योजनाओं और गृहमंत्री विजय शर्मा की आत्मीयता ने बस्तर के आदिवासियों का दिल जीत लिया है। दुर्गम इलाकों के ग्रामीणों के भी दिलों से नक्सलियों का खौफ लगभग गायब हो चुका है। इस खौफ को दूर करने में पुलिस और सुरक्षा बलों का संवेदनशील व्यवहार एवं कार्यप्रणाली ने भी बड़ा रोल अदा किया है। दरअसल नक्सली इन्ही ग्रामीणों को डरा धमका कर और उनकी आड़ में ही अपने मंसूबे पूरे करते आ रहे थे। अब उन्हें ग्रामीणों का सहयोग मिलना करीब करीब बंद हो चुका है। बड़ी संख्या में अपने साथियों के मारे जाने और आत्मसमर्पण करने से खुद बड़े नक्सलियों की न सिर्फ कमर टूट चुकी है बल्कि उनके सारे नट बोल्ट भी ढीले पड़ चुके हैं। अब फिर से वे तेलंगाना, आंध्राप्रदेश और महाराष्ट्र के नक्सलियों की मदद लेने लगे हैं।

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