फाइलेरिया सहित 21 बीमारियों के प्रति जागरूकता का संकल्प: विश्व एनटीडी दिवस पर अभियान तेज

रायपुर। प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को विश्व एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज) दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों के उन्मूलन और नियंत्रण को जनांदोलन के रूप में आगे बढ़ाना है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ में भी यह दिवस मनाया गया, जहां लोगों को इन बीमारियों के प्रति जागरूक किया गया।

छत्तीसगढ़ के वेक्टर जनित रोग कार्यक्रम अधिकारी एवं राज्य नोडल अधिकारी (फाइलेरिया) डॉ. जितेन्द्र कुमार ने बताया कि एनटीडी एक ऐसा समूह है, जिसमें शामिल बीमारियाँ शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं। विश्व में लगभग 1.7 अरब लोग किसी न किसी नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज से प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं। इन बीमारियों में लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव), कालाजार, कुष्ठ रोग, डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रेबीज सहित कुल 21 बीमारियाँ शामिल हैं।

भारत में एनटीडी की चुनौती

डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति एनटीडी से प्रभावित है। भारत इन बीमारियों से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल है और यहां हर वर्ष लाखों लोग इन बीमारियों का सामना करते हैं।

उन्होंने कहा कि एनटीडी से प्रभावित व्यक्ति की शिक्षा, पोषण और आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि इन बीमारियों को प्राथमिकता देकर नियंत्रण एवं उन्मूलन के प्रयास किए जाएँ, तो समाज में आर्थिक समृद्धि, लैंगिक समानता और स्वास्थ्य सुधार को बढ़ावा मिलेगा।

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए बड़ा अभियान

डॉ. कुमार ने बताया कि फाइलेरिया (हाथीपांव) एक गंभीर मच्छरजनित बीमारी है, जो भारत समेत 72 देशों को प्रभावित कर रही है। इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए भारत सरकार के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

इसके तहत, 10 फरवरी से राज्य के 17 फाइलेरिया प्रभावित जिलों में एक विशेष दवा वितरण अभियान शुरू किया जाएगा। इस अभियान में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी लाभार्थियों को दवाइयाँ उनके सामने खिलाएंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग इस गंभीर बीमारी से सुरक्षित रहें।

एनटीडी उन्मूलन को मिलेगी गति

राज्य नोडल अधिकारी ने कहा कि इन उपेक्षित बीमारियों को अब और नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। इनके नियंत्रण एवं उन्मूलन के लिए राज्य से लेकर ग्राम स्तर तक मिशन मोड में कार्य किया जा रहा है। सरकार की प्रतिबद्धता और जागरूकता अभियानों के माध्यम से इन बीमारियों को जड़ से समाप्त करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।

 

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