० सच्ची घटना पर आधारित है यह फिल्म, निर्देशक राजा खान की अच्छी पहल
(अर्जुन झा )जगदलपुर। अब तक आपने लैला मजनू, शीरी फरहाद, सोहनी महिवाल की ही प्रेम कहानी सुनी और देखी होगी। बस्तर के झिटकू मिटकी की प्रेमगाथा भी इनसे कमतर नहीं है। बस्तर के इतिहास के पन्नों से निकलकर झिटकू मिटकी की प्रेमगाथा अब जल्द ही रुपहले पर्दे पर नजर आएगी। झिटकू मिटकी की अनोखी प्रेमगाथा पर फिल्म बनाने की शानदार पहल फिल्म निर्देशक राजा खान ने की है। पहली बार बस्तर के गौरव और बस्तर के गर्व को सिनेमा के रुपहले पर्दे पर देखने मिलेगा।
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक संस्कृति और ऐतिहासिक घटनाओं को फिल्मी पर्दे पर लाने का प्रयास जारी है। इसी कड़ी में फिल्म निर्देशक राजा खान “झिटकू-मिटकी” की प्रेमगाथा की सच्ची घटना पर आधारित एक फिल्म लेकर आ रहे हैं। यह फिल्म छत्तीसगढ़ की प्राचीन परंपराओं और इतिहास को दुनिया के सामने लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी। यह फिल्म 7 फरवरी को रिलीज होने जा रही है।इसका ट्रेलर 20 दिसंबर को विभिन्न सिनेमाघरों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर जारी किया गया था। राजा खान ने बताया कि फिल्म झिटकू-मिटकी की कहानी छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की 300 साल पुरानी परंपराओं और प्रथाओं से प्रेरित है। इस फिल्म की कहानी तैयार करने में दो साल से अधिक का समय लगा। राजा खान और उनकी टीम ने बस्तर के आदिवासी समुदायों के इतिहास, रीति-रिवाजों और सामाजिक संरचनाओं पर गहन शोध किया। उन्होंने इस दौरान उन ऐतिहासिक पात्रों की प्रामाणिकता को सुनिश्चित किया, जो बस्तर की पौराणिक कथाओं में दर्ज हैं।
मिटकी के रोल में एक्ट्रेस लवली
फिल्म में झिटकू का किरदार लालजी कोर्राम और मिटकी का किरदार मुंबई की जानी मानी एक्ट्रेस लवली अहमद ने निभाया है। निर्देशक राजा खान ने कहा कि इस फिल्म का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को उजागर करना है। राजा खान ने बताया कि वास्तविक स्थानों पर शूटिंग के दौरान आदिवासी संस्कृति के गहरे अनुभव को फिल्माया गया। फिल्म की तकनीकी गुणवत्ता पर भी खास ध्यान दिया गया है।
बनेगी बस्तर की ग्लोबल पहचान
फिल्म “झिटकू-मिटकी” न केवल छत्तीसगढ़ के दर्शकों को, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को आकर्षित करेगी। इस फिल्म से बस्तर और छत्तीसगढ़ की अद्वितीय संस्कृति एवं ऐतिहासिक धरोहर को विश्व मंच पर नई पहचान मिलेगी। राजा खान ने इस फिल्म को निर्देशित किया है और इसकी पटकथा भी स्वयं लिखी है।
फिल्म का है यह उद्देश्य
इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य है छत्तीसगढ़ के इतिहास को एक नए दृष्टिकोण से पेश करना और आदिवासी समुदाय की उन कहानियों को जीवंत बनाना, जो अब तक पर्दे के पीछे रही हैं। इसके साथ ही दर्शकों के भरपूर मनोरंजन के लिए भी यह फिल्म जानी जाएगी।
फिल्म में ड्रामा, हास्य, कर्णप्रिय गीत संगीत और भावनाओं का ज्वार भाटा है, जिसमें दर्शक हर पल डूबे रहेंगे। यह फिल्म अंत तक दर्शकों को बंधे रखेगी।