आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में जाली अंक सूची का बड़ा खुलासा, जांच जारी

गरियाबंद। जिले में आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में जाली दस्तावेजों के सहारे नियुक्ति का एक और मामला सामने आया है। वंचित अभ्यर्थी नीला यादव ने थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि 67 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाली दीप्ति यादव ने 81 प्रतिशत के जाली अंक सूची का सहारा लेकर नियुक्ति हासिल की। शिकायत के बाद नियुक्ति प्रक्रिया को रोक दिया गया है, और जांच जारी है।

क्या है मामला?

पूंजीपारा आंगनबाड़ी में सहायिका भर्ती में गड़बड़ी का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ था कि अब नागपारा (कोदोभाठा) में भी इसी तरह का मामला सामने आया। नीला यादव ने 9 जनवरी को थाने पहुंचकर प्रभारी गौतम गावड़े को लिखित शिकायत दी। उन्होंने झाखरपारा स्कूल के प्रधान पाठक मन्नू राम शांडिल्य से सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त कर यह खुलासा किया।

शिकायत में बताया गया कि दीप्ति यादव ने 81 प्रतिशत का जाली अंक सूची प्रस्तुत कर नियुक्ति हासिल की, जबकि उनके वास्तविक अंक 67 प्रतिशत थे। मामला सामने आने पर प्रभारी परियोजना अधिकारी ने दीप्ति यादव के ज्वाइनिंग आदेश को तत्काल प्रभाव से रोक दिया।

जांच में सामने आई गड़बड़ी

झाखरपारा मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक मन्नू राम शांडिल्य ने बताया कि स्कूल के रिकॉर्ड के अनुसार दीप्ति यादव का परीक्षाफल 67 प्रतिशत था। उनके नाम से जाली दस्तावेज बनाकर इसका इस्तेमाल किया गया। प्रधान पाठक ने यह भी कहा कि उनके सील और हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया गया है, जिसकी जांच होनी चाहिए।

इस मामले में तत्कालीन प्रधान पाठक कामसिंह ध्रुव ने आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि उन्होंने अपने अधिकारी के निर्देश पर दस्तावेज परियोजना कार्यालय को भेजे थे।

पुलिस की कार्रवाई

थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने बताया कि शिकायत की प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। सभी दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है, और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। पूंजीपारा मामले में पहले ही दो लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है, और अन्य मामलों की जांच भी तेजी से जारी है।

भ्रष्टाचार का बड़ा खेल

सितंबर 2024 के बाद हुई सहायिका भर्ती में जाली अंक सूची के जरिए बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। भारी लेन-देन कर जाली दस्तावेज तैयार किए गए और दावा-आपत्ति की प्रक्रिया को भी केवल कागजों में पूरा कर दिया गया। इससे योग्य अभ्यर्थी रोजगार से वंचित हो गए।

 

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