दुर्ग। रिसाली नगर निगम में 16 करोड़ रुपये के सफाई ठेके को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। महापौर शशि सिन्हा और महापौर परिषद (एमआईसी) के सदस्यों ने टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की है। महापौर ने इस ठेके को निगम की आय से अधिक बताते हुए इसे नगर निगम को कंगाल बनाने की साजिश करार दिया।
नियमों का उल्लंघन और पारदर्शिता का अभाव
महापौर शशि सिन्हा ने पत्रकारवार्ता में कहा कि निगम की वार्षिक आय मात्र 10 करोड़ रुपये है, जबकि सफाई ठेके की लागत 16 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है। सात निविदाएं प्राप्त होने के बावजूद केवल दो निविदाओं के लिफाफे खोले गए, जो भण्डार क्रय नियमों का उल्लंघन है। नियमों के अनुसार न्यूनतम तीन निविदाकारों का चयन अनिवार्य है।
महापौर ने निगम आयुक्त मोनिका वर्मा और सभापति पर बंदरबांट की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सभापति ने विशेष सामान्य सभा बुलाने का निर्णय बिना उनकी और एमआईसी की सहमति के लिया, जो नियमों का सीधा उल्लंघन है।
कांग्रेस पार्षदों और नेताओं का समर्थन
कांग्रेस पार्षदों और एमआईसी सदस्यों ने महापौर का समर्थन किया और टेंडर प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की। कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष मुकुंद भाऊ और जिला उपाध्यक्ष चंद्रभान ठाकुर ने दावा किया कि टेंडर को चार भागों में बांटकर लागत को दोगुना से अधिक बढ़ा दिया गया है।
कलेक्टर से शिकायत, नई प्रक्रिया की मांग
महापौर शशि सिन्हा ने इस मामले में कलेक्टर से शिकायत की है। उन्होंने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर निविदा को निरस्त करने और पारदर्शिता के साथ नई प्रक्रिया शुरू करने की मांग की। महापौर ने स्पष्ट किया कि स्थानीय विधायक ललित चंद्राकर का इस मामले से कोई संबंध नहीं है।
विशेष सभा का बहिष्कार और आंदोलन की चेतावनी
महापौर और एमआईसी सदस्यों ने इस टेंडर प्रक्रिया के विरोध में विशेष सामान्य सभा का बहिष्कार करने और आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। महापौर ने कहा कि सफाई नगर निगम की प्राथमिकता है, लेकिन इसे नियमों और पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए।
निगम में विवाद बढ़ने के आसार
सफाई ठेके को लेकर उठे इस विवाद के बाद निगम में खींचतान तेज हो गई है। महापौर और पार्षदों ने पारदर्शिता की मांग करते हुए ठेके को रद्द करने की पुरजोर मांग की है।