अफसरों, पुलिस और ठेकेदारों के निशाने पर हैं बस्तर संभाग के पत्रकार, धमकाने, थानों में बिठाने का दौर

0  दोधारी तलवार पर चलते काम कर रहे हैं कलमवीर 
0 कांकेर थाने में घंटों बिठाए रखा गया मीडियाकर्मी को 
0 भ्रष्ट सचिव, सरपंच कर रहे बकावंड के पत्रकारों को फंसाने की साजिश 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। मीडिया को लेकर राजनेता लंबे चौड़े भाषण देते हैं, पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ और पत्रकारों को देश एवं समाज का सजग प्रहरी बताते नहीं थकते, मगर आज यही पत्रकार राजनेताओं, अफसरों, पुलिस और ठेकेदारों के हाथों पीड़ित प्रताड़ित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक बुरी हालत बस्तर के पत्रकारों की है। यहां एक के बाद एक पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। बस्तर के पत्रकारों को दोधारी तलवार पर चलते हुए काम करना पड़ रहा है। एक तरफ समाज के दुश्मन नक्सली हैं, तो दूसरी तरफ समाज के तथाकथित रखवाले अफसर, जनप्रतिनिधि, पुलिस और ठेकेदार। इस संभाग में पत्रकारों की प्रताड़ना के सर्वाधिक मामले सामने आ रहे हैं।
बस्तर संभाग के सुकमा और दंतेवाड़ा जिलों के पत्रकारों को गांजा के झूठे केस में फंसाए जाने का मामला सुर्खियों में रहा। इन पत्रकारों की बड़ी मुश्किल से जमानत पर रिहाई हो पाई है। उसके बाद बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का मामला सामने आ गया। मुकेश चंद्राकर की हत्या में एक ठेकेदार परिवार की संलिप्तता की बात सामने आई है। मामले में तीन लोग पकड़े गए हैं और इस हत्याकांड का मास्टर माइंड फिलहाल फरार है। इसी के साथ दो दिन पहले ही एक दैनिक अखबार के पत्रकार को कांकेर में कोतवाली पुलिस द्वारा अपने चहते की शिकायत पर थाने में बुलाकर खूब धमकी चमकी दी गई है। उक्त अधिकारी द्वारा उस पत्रकार को करीब 3 घंटे थाने में बिठवा दिया गया था। उस पत्रकार इस धमकी के साथ छोड़ा गया कि अगर तुमने बाहर जाकर मुंह खोला तो तुम्हारी खैर नहीं है। कल बस्तर जिले के बकावंड के दो पत्रकारों को भी निशाना बनाए जाने की बात सामने आई है। बकावंड जनपद पंचायत के बड़े अधिकारी के खासमखास एक पंचायत सचिव और कुछ सरपंचों द्वारा बकावंड थाने में शिकायत कर दोनों पत्रकारों को फर्जी पत्रकार बताते हुए उन पर मामला दर्ज करवाने का प्रयास किया जा रहा है। इस पंचायत सचिव ने कांग्रेस के कार्यकाल में कुछ सरपंचों के साथ मिलकर पंचायतों से संबंधित निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती थी। सचिव के इसी कारनामे को अपने अखबारों उजागर किए जाने पर दोनों पत्रकारों को फंसाने का ऐसा षडयंत्र रचने का प्रयास जारी है। 93 ग्राम पंचायतों वाले बकावंड विकासखंड में कुछ पंचायतों के सचिव दशकों से जमे हुए हैं। यही सचिव सरपंचों के अनपढ़ होने का फायदा उठाकर भ्रष्टाचार को अंजाम देते आ रहे हैं। अब जब उन्हीं सरपंचों द्वारा इन सचिव की कारस्तानी सामने लाई जा रही है तब ये सचिव बौखला कर पुलिस की मदद से पत्रकारों व सरपंचों को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दे रहे हैं। सरकार पत्रकार को चौथा स्तंभ मानती है उन्हें सुरक्षा देने की बात भी करती है वहीं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकारों पर अपने ही भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों के माध्यम से पत्रकारों को दबाने कुचलने का प्रयास भी कर रही है

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