भूल गए गोवा और शिमला, अब पर्यटकों को लुभाने लगा है बस्तर का मट्टीमरका

०  विशाखापटनम और बंगलौर से पहुंचे युवा 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। देश के युवा अब गोवा, शिमला, मनाली जैसे विश्व विख्यात सैरगाहों को भूलकर छत्तीसगढ़ बस्तर का रुख करने लगे हैं। नए साल का जश्न मनाने बेंगलोर और विशाखापटनम के कई युवा छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का एक छोटे से गांव मट्टीमरका पहुंचे थे। यह अब देश के उभरते हुए पर्यटन स्थलों में गिना जाने लगा है।
मट्टीमरका बसरर बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में स्थित है। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और समृद्ध आदिवासी संस्कृति के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। बीजापुर जिले के भोपालपट्टनम ब्लॉक से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मट्टीमरका ने पर्यटकों के दिलों में खास जगह बनाई है। इंद्रावती नदी के किनारे स्थित यह गांव “बस्तर का गोवा” के नाम से जाना जाता है। इसकी प्रसिद्धि दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। अभी हाल ही में नववर्ष के उपलक्ष्य में पिकनिक मनाने काफी संख्या में पर्यटक मट्टीमरका पहुंचे थे। इन पर्यटकों में बेंगलोर और विशाखापटनम के एडवेंचर के शौकीन युवा भी शामिल थे।

प्रकृति की नेमत है यह जगह

मट्टीमरका का मुख्य आकर्षण इंद्रावती नदी है। यह नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा बनाती है और अपनी साफ, निर्मल जलधारा तथा लुभावने नजारे के लिए जानी जाती है। इंद्रावती नदी के किनारे फैली सुनहरी रेत और ऊंचे-नीचे पत्थरों की संरचनाएं इस क्षेत्र को और भी अनोखा बनाती हैं। यहां का दृश्य गोवा के समुद्री तटों की याद दिलाता है। इसलिए इसे “बस्तर का गोवा” कहा जाता है। नदी के किनारे बैठकर बहती हवा और कल- कल बहती जलधारा का आनंद लेना पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करता है।

कैंपिंग और एडवेंचर्स

मट्टीमरका युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यहां कैंपिंग के लिए सुविधाजनक स्थान उपलब्ध हैं, जहां पर्यटक तारों भरे आसमान के नीचे तंबू लगाकर रात बिता सकते हैं। अलाव के पास दोस्तों के साथ समय बिताने का अनुभव यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसके अलावा, इंद्रावती नदी के किनारे सुबह की सैर और सूर्योदय का दृश्य हर पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देता है।

खस्ताहाल है पहुंच मार्ग

जिले में कई पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए सड़क की स्थिति अच्छी नहीं है। कुछ यही हाल मट्टीमरका भी है। भोपालपटनम से मट्टीमरका की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है, यहां की सड़क की खराब स्थिति और मरम्मत की कमी पर्यटकों के लिए एक बड़ी समस्या है। इस मार्ग पर यात्रा करना मुश्किल हो जाता है। इससे न केवल यात्रा में देरी होती है, बल्कि पर्यटकों का अनुभव भी खराब होता हैं। यदि सड़कों की मरम्मत करा दी जाए और मोबाइल कनेक्टिवीटी में सुधार किया जाए तो यहां पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।

सुरक्षा का भी अभाव

पर्यटन स्थल पर सुरक्षा का अभाव एक प्रमुख चिंता का विषय है। कई बार जंगलों और नदी की किनारे स्थित पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की सुरक्षा की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से जब वे ट्रैकिंग या जल क्रीड़ाओं जैसी गतिविधियों में भाग लेते हैं। यदि प्रशासन इन स्थलों पर सुरक्षा प्रबंधों को मजबूत करता है और पर्यटकों को पूरी तरह सुरक्षित महसूस कराता है तो यह पर्यटन उद्योग के लिए बड़ा लाभकारी साबित हो सकता है।

बोटिंग एवं जल क्रीड़ा पर ध्यान जरूरी

मट्टीमरका में बोटिंग एवं जल क्रीड़ा की सुविधाओं का अभाव है, जो पर्यटन को और भी रोमांचक बना सकते थे। यहां बोटिंग की व्यवस्था न होने से पर्यटक जल क्रीड़ा का अनुभव नहीं कर पाते। जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बोटिंग और जल क्रीड़ा जैसी गतिविधियों की शुरुआत की जा सकती है जो पर्यटकों को और अधिक आकर्षित कर सकती है और साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर सकती है। इन समस्याओं को हल करने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन को जल्द ही कदम उठाने को आवश्यकता है। सड़क की सुधार एवं मोबाइल नेटवर्क के लिए योजनाएं बनानी चाहिए ताकि पर्यटकों को आरामदायक यात्रा का अनुभव मिल सके, इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्थाओं को मजबूत करना और जल क्रीड़ा सुविधाओं का विस्तार करना भी आवश्यक है। इन कदमों से न केवल पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी बल्कि छत्तीसगढ़ की पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा एवं पर्यटन के क्षेत्र में बीजापुर जिले का नाम भी शामिल होगा।

यादें समेट ले गए युवा

प्राकृतिक पर्यटन स्थल मट्टीमरका में बेंगलुरु एवं विशाखापटनम से आए पर्यटकों ने दो दिन का यादगार समय बिताया। ये मेहमान पर्यटक यहां की खूबसूरती, शांत वातावरण और रोमांच का अनुभव लेने पहुंचे थे। मट्टीमरका की यात्रा का मुख्य उद्देश्य प्रकृति से जुड़ना और शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर शांति का अनुभव करना था। पर्यटकों ने पहुंचने के बाद नदी के किनारे जमकर मस्ती की। नदी का साफ और ठंडा पानी, चारों तरफ फैली हरियाली और नदी के किनारे की ठंडी हवाओं ने उनका स्वागत किया। यहां उन्होंने नदी के किनारे तंबू लगाकर रात बिताने का फैसला किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने पर्यावरण का पूरा ध्यान रखा। पॉलिथीन या किसी भी प्रकार की डिस्पोजल सामग्री का उपयोग नहीं किया। भोजन के लिए पत्तों से बनी प्लेटों का उपयोग किया और देसी तरीके से खाना पकाया। पर्यटकों ने जंगल की सैर की और ट्रैकिंग का आनंद लिया। मट्टीमरका के घने जंगल और ट्रैकिंग ट्रेल्स पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है। जंगल की सैर करते हुए उन्होंने पक्षियों को निहारने का आनंद लिया। उनके अनुसार यहां पक्षियों की विविध प्रजातियां देखने को मिलीं, जिनकी चहचहाहट ने उनका मन मोह लिया। ट्रैकिंग के दौरान उन्हें जंगल के कई अनदेखे हिस्सों को देखने और उनकी प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने का मौका मिला। यात्रा के दौरान पर्यटकों ने स्थानीय व्यंजनों का भी स्वाद चखा। उन्होंने अपने हाथों से खाना पकाया और इसे खुले आसमान के नीचे खाने का आनंद लिया।

नदी की रेत पर बिताई रात

नदी के किनारे रेत पर तंबू में रात बिताना उनके लिए रोमांचक अनुभव था। सितारों से भरे आसमान के नीचे बैठकर उन्होंने गाने गाए और अपने अनुभव साझा किए। सुबह होते ही पक्षियों की मधुर आवाजों ने उन्हें जगा दिया, जो सुखद अनुभव था। पर्यटकों ने कहा कि मट्टीमरका का वातावरण इतना शांत और सुकूनदायक है कि यहां आकर मन को एक अलग ही शांति मिलती है। इस यात्रा को खास बनाते हुए पर्यटकों ने यह सुनिश्चित किया कि वे अपने साथ किसी भी प्रकार का कचरा न छोड़ें। उन्होंने अपने साथ लाए सभी कचरे को वापस ले जाकर उचित स्थान पर फेंका। उनका कहना था कि मट्टीमरका जैसी खूबसूरत जगह को संरक्षित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने अन्य पर्यटकों से भी अपील की कि वे पॉलिथीन और डिस्पोजल सामग्री का उपयोग न करें और प्रकृति की सुंदरता को बनाए रखने में योगदान दें। पर्यटकों ने मट्टीमरका की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह स्थान न केवल पर्यटन के लिए बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति पाने के लिए भी एक आदर्श जगह है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, स्वच्छता और स्थानीय लोगों का सहयोग उनकी यात्रा को और भी यादगार बना गया।

बेंगलुरु के विनीत का अनुभव

बेंगलुरु से आए विनीत ने कहा कि मट्टीमरका की प्राकृतिक सुंदरता हमें शहरी जीवन की भागदौड़ से राहत देती है। यहां का हरा-भरा वातावरण, नदी का साफ पानी और चारों तरफ की शांति इसे खास बनाती है। लेकिन यह सुंदरता तभी बनी रह सकती है, जब हम इसे गंदा न करें। मैं सभी पर्यटकों से अपील करता हूं कि वे प्लास्टिक और पॉलिथीन का उपयोग न करें। हम अपने साथ जो भी कचरा लाते हैं, उसे वापस ले जाना हमारी जिम्मेदारी है। प्रकृति ने हमें इतना कुछ दिया है, इसे संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है।

विशाखापटनम की सुप्रिया की राय

विशाखापटनम से आई सुप्रिया ने कहा- मट्टीमरका की प्राकृतिक सुंदरता और निर्मल जलधारा ने मेरा मनमोह लिया। मैं वापस जाकर अपने अन्य दोस्तों के साथ इस अनुभव को साझा करुंगी। मट्टीमरका जैसी जगहों की स्वच्छता और सुंदरता ही इन्हें खास बनाती है। मैंने देखा कि यहां सफाई को लेकर स्थानीय लोग बेहद जागरूक हैं। मैं हर किसी से कहना चाहती हूं कि अगर हम प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे, तो ऐसी खूबसूरत जगहें धीरे-धीरे नष्ट हो जाएंगी।

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