रायपुर। देश के प्रमुख व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर क्विक कॉमर्स कंपनियों द्वारा नियम और कानून के उल्लंघन की शिकायत की है। कैट ने इन कंपनियों पर विदेशी निवेश (एफडीआई) का दुरुपयोग करते हुए देश के रिटेल बाजार को प्रभावित करने का आरोप लगाया है।
कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि इन कंपनियों के संचालन से छोटे व्यापारियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्लिंकिट, ज़ेप्टो, स्विगी, इंस्टामार्ट जैसी कंपनियां अपने व्यापार मॉडल से किराना दुकानदारों के अस्तित्व को खतरे में डाल रही हैं।
एफडीआई का दुरुपयोग और कानूनों का उल्लंघन
कैट ने दावा किया कि इन कंपनियों ने एफडीआई के तहत 54,000 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की है, लेकिन इसका उपयोग बुनियादी ढांचे के विकास के बजाय व्यापार घाटे को कवर करने और अपने हित साधने के लिए किया जा रहा है। इन कंपनियों द्वारा बनाए गए डार्क स्टोर्स भी नियमों का उल्लंघन करते हैं।
छोटे व्यापारियों के लिए खतरा
कैट ने आरोप लगाया कि ये कंपनियां चुनिंदा विक्रेताओं के साथ विशेष सौदे कर स्वतंत्र खुदरा विक्रेताओं को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर रही हैं। इसके अलावा, उपभोक्ताओं से विक्रेताओं की जानकारी छुपाने जैसे कार्य कम्पटीशन एक्ट, 2002 और उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन हैं।
कैट की मांग और आगामी कार्रवाई
कैट ने सरकार से ई-कॉमर्स नियमों को सख्ती से लागू करने और इन कंपनियों को जवाबदेह बनाने की मांग की है। साथ ही, कैट ने घोषणा की है कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 6-7 जनवरी को दिल्ली में एक राष्ट्रीय व्यापारी सेमिनार आयोजित करेगा।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि क्विक कॉमर्स कंपनियों की अनियंत्रित वृद्धि छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ा खतरा है और इसे रोकने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए।