नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया। इस बिल के पेश होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, के बीच तीखी बहस छिड़ गई है।
भाजपा का समर्थन, कांग्रेस और विपक्ष का विरोध
भाजपा. का कहना है कि यह विधेयक देश के विकास को तेज गति से आगे बढ़ाएगा, क्योंकि बार-बार होने वाले चुनावों से सरकारी व्यवस्था प्रभावित होती है। पार्टी का मानना है कि इस बिल से चुनावी प्रक्रिया में एकरूपता आएगी और विकास की गति तेज होगी।
वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है। पार्टी का कहना है कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली को प्रभावित कर सकता है और देश की राजनीतिक संरचना में असंतुलन पैदा कर सकता है।
विपक्षी दलों का विरोध, एनडीए और बसपा का समर्थन
कांग्रेस के अलावा, समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), पीडीपी, शिवसेना उद्धव गुट और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) जैसे दलों ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया है। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि यह बिल तानाशाही के विकल्प तलाशने की कोशिश है, और इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है।
इसके बावजूद, एनडीए के सहयोगी दलों और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस बिल का समर्थन किया है। बसपा ने भी इसे देश के हित में बताया और इसके पक्ष में अपनी आवाज उठाई। जेडीयू, टीडीपी, और वाईएआर कांग्रेस जैसे दल भी इस बिल के समर्थन में हैं।
भाजपा ने जारी किया व्हिप
लोकसभा में बिल पेश होने से पहले भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था, ताकि वे इस बिल का समर्थन करें। इस कदम से यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी इस विधेयक को लेकर गंभीर है और इसे पारित करवाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। यह बिल अभी संसद में चर्चा के दौर से गुजर रहा है और इसके बारे में अंतिम निर्णय आने में समय लग सकता है। इस विधेयक को लेकर अलग-अलग राजनीतिक दलों के दृष्टिकोण में गहरा भेद देखा जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों में संसद में और भी कड़ी बहस होने की संभावना है।