० बस्तर के छात्रावासों, आश्रमों लगातार घटनाएं
० विधायक लखेश्वर बघेल ने प्रदेश के हेल्थ सिस्टम पर उठाए सवाल
(अर्जुन झा) जगदलपुर। बस्तर संभाग में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित आश्रम छात्रावासों, कन्या परिसरों, आवसीय विद्यालयों में लगातार अनहोनी हो रही है। अब बीजापुर जिले के धनोरा में संचालित माता रुक्मिणी आश्रम में 35 छात्राएं अचानक गंभीर रूप से बीमार हो गईं। इलाज के लिए ले जाते समय उनमें से एक छात्रा की रास्ते में ही मौत हो गई। वहीं बाकी छात्राओं का इलाज जारी है।
इस घटना को लेकर बस्तर क्षेत्र के विधायक लखेश्वर बघेल गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि छात्रा की मौत और अन्य छात्राओं के बीमार होने की इस घटना ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य ढांचे की बुरी हालत को उजागर कर दिया है, खासकर आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सेवाओं का घोर अभाव है। विधायक लखेश्वर बघेल ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए भाजपा सरकार की स्वास्थ्य नीतियों की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह घटना सरकार की नाकामी को साबित करती है, जो प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ है। माता रुक्मिणी आश्रम में अचानक 35 बच्चों के बीमार होने की घटना ने सबको चौंका दिया। छात्राओं में उल्टी, दस्त और बुखार जैसे लक्षण दिखाई दिए। कई बच्चों की हालत गंभीर हो गई। जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होने के बावजूद, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और समुचित इलाज के अभाव के कारण एक बच्ची की मौत हो गई, जबकि 9 अन्य बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है। इस त्रासदी ने एकबार फिर साबित कर दिया है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं न केवल अपर्याप्त हैं, बल्कि पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही हैं। विधायक लखेश्वर बघेल ने इस घटना के बाद भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह केवल एक घटना नहीं है, बल्कि प्रदेश की बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था का स्पष्ट उदाहरण है।
उन्होंने कहा, भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से छोड़ दी है। सरकार का ध्यान सिर्फ बड़े शहरों और शहरी इलाकों पर है, जबकि आदिवासी और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बदतर हो चुकी है। श्री बघेल ने यह भी कहा कि यह घटना केवल एक चेतावनी है और अगर सरकार ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए तो भविष्य में ऐसी घटनाएं और भी बढ़ सकती हैं। इस घटना के बाद से स्थानीय लोगों और राजनीतिक नेताओं ने भाजपा सरकार की स्वास्थ्य नीतियों को लेकर गहरी चिंता जताई है। बस्तर के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का गंभीर अभाव है, जिससे लोग अपनी बुनियादी चिकित्सा जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, दवाओं और संसाधनों का अभाव, चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी को लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग लगातार परेशान हैं। बघेल ने कहा कि सरकार को आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। उन्हें इस बात की चिंता है कि इस घटना के बाद भी अगर सरकार ने आवश्यक कदम नहीं उठाए तो और भी बच्चों की जान पर बन आ सकती है। लखेश्वर बघेल ने भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि सरकार को इस घटना के बाद तुरंत उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह घटना यह साबित करती है कि सरकार की स्वास्थ्य नीति पूरी तरह से विफल हो चुकी है। बघेल ने यह भी सवाल उठाया कि आश्रमों और स्कूलों में बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं क्यों नहीं उपलब्ध कराई जातीं। इस घटना ने इस सवाल को भी जन्म दिया कि बच्चों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का नियमित निरीक्षण क्यों नहीं किया जाता?
विधायक ने यह भी मांग की कि प्रदेश के हर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का पुनर्निर्माण किया जाए। बघेल का कहना है कि केवल सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सरकार को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने होंगे और प्रदेश के हर गांव और कस्बे में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। खासकर आदिवासी और पिछड़े इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी के कारण इस तरह की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है, और यह बच्चों के जीवन को खतरे में डालने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। लखेश्वर बघेल ने कहा कि हमारा सबसे पहला कर्तव्य है कि हम बच्चों की सुरक्षा और उनकी सेहत सुनिश्चित करें। जब बच्चे बीमार पड़ते हैं और उनके इलाज का सही प्रबंध नहीं होता, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। उन्होंने सरकार से अपील की कि स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार के लिए एक स्पष्ट योजना बनाई जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।श्री बघेल ने यह भी कहा कि इस घटना से एक बात और सामने आई है कि सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को लेकर आदिवासी इलाकों में गंभीरता से काम करने की जरूरत है। उनका कहना है कि यह न केवल बच्चों की जान का सवाल है, बल्कि यह राज्य की पूरी स्वास्थ्य नीति पर सवाल उठाता है। अगर सरकार इस पर ध्यान नहीं देती है, तो यह प्रदेश के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन सकता है। इस घटना के बाद प्रदेश भर में भाजपा सरकार की आलोचना तेज हो गई है। राजनीतिक नेताओं से लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं तक सभी ने इस पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि आखिरकार स्वास्थ्य सेवाओं का जो बजट सरकार ने निर्धारित किया है, वह जनता तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा है।
इसके साथ ही विधायक लखेश्वर बघेल ने यह भी कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए सभी पार्टियों को एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह बच्चों और जनता की जान से जुड़ा हुआ मामला है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट केवल बीजापुर जिले तक सीमित नहीं है। राज्य के कई अन्य इलाकों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं का गंभीर अभाव है, जिससे लोग बुनियादी चिकित्सा सेवाएं भी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।