जगदलपुर। लोकतांत्रिक राष्ट्र का संविधान देश के नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को तय करता है। सरकार के विभिन्न अंगों के अधिकार और कर्तव्यों को परिभाषित करता है। संविधान किसी भी देश की शासन प्रणाली और राज्य को चलाने के लिए बनाया गया एक दस्तावेज है। संविधान की जरूरत को महसूस करते हुए आजादी के बाद भारत ने भी संविधान को अपनाया। संविधान निर्माण के लिए कई देशों के संविधानों का अध्ययन किया गया और उनमें से अच्छे नियम कानूनों को निकालकर भारत का संविधान बनाया गया। ये बातें डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल उलनार में संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्राचार्य मनोज शंकर ने कही। उन्होंने कहा कि हर साल भारतीय संविधान के बारे में लोगों को जागरूक करने और संविधान के महत्व व बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं को फैलाने के उद्देश्य से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है।दरअसल इस दिन 1949 में भारत का संविधान अपनाया गया था। हमारे संविधान को बनाने में दो वर्ष,11 माह और 18 दिन का समय लगा। जिसके बाद भारत गणराज्य का संविधान 26 जनवरी 1949 को बनकर तैयार हो गया। लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल उलनार में प्राचार्य मनोज शंकर के मार्गदर्शन में संविधान दिवस मनाया गया। विशेष प्रार्थना सभा में प्राचार्य मनोज शंकर द्वारा संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद के छाया चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित,माल्यार्पण एवं पुष्पर्पित किए गए। पश्चात प्राचार्य मनोज शंकर ने सभा को संबोधित करते हुए सभी को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दी एवं संविधान के प्रति बच्चों में जागरूकता पैदा करने, भारतीय संविधान के महत्व व मौलिक अधिकार और कर्तव्यों की जानकारी देते हुए संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन कराया। इस मौके पर वहां उपस्थित शिक्षकों एवं बच्चों ने संविधान का सम्मान व पालन करने का संकल्प लिया। कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा तनूजा बघेल ने भाषण की प्रस्तुति दी।शिक्षक देवसिंह नेताम ने भी सभी को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दी एवं संविधान का विस्तार रूप से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान दुनिया के बेहतरीन दस्तावेजों में से एक है। हर भारतीय को इसकी रक्षा का प्रण लेना चाहिए। इस अवसर पर प्रभात फेरी भी निकाली गई। जिसमें पूरे जोश के साथ संविधान के प्रति जागरूकता पैदा करने और अपने मौलिक अधिकारों के लिए छात्र छात्राओं और शिक्षकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के प्राचार्य, समस्त शिक्षकगण एवं विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।