नाली सफाई करने वाले से कराया बिजली का काम, हैंडपंप की सफाई करने वाला बनवाता है सड़क!

(अर्जुन झा)बकावंड। हैंडपंप के आसपास की सफाई, स्ट्रीट लाईट लगाने, सीसी रोड निर्माण आदि के नाम पर ग्राम पंचायतों में सरकारी फंड हजम करने का खेल कैसे खेला जाता है, इसका बड़ा नमूना बकावंड जनपद की ग्राम पंचायतों में देखने को मिला है। नाली सफाई करने वाला स्ट्रीट लाईट का भी काम कर लेता है और हैंडपंपों के आसपास के आसपास की सफाई करने वाला सड़क भी बना लेता है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि ग्राम पंचायत द्वारा किए गए भुगतान के दस्तावेज यह कहानी बयां कर रहे हैं।
बस्तर जिले की जनपद पंचायत बकावंड में भ्रष्टाचार और सरकारी फंड की बंदरबांट चरम पर है। जिन पर ऎसी करतूतों को रोकने की जबाबदारी है, वह भी पैसों की चमक के आगे नतमस्तक हो गए हैं। केंद्र और राज्य सरकार की मंशा रहती है कि उनके भेजे फंड का सदुपयोग हो और सारे कार्यों में पारदर्शिता हो, मगर ऐसा हो नहीं रहा है। सारे कार्यों की जानकारी ऑनलाईन और पोर्टल पर उपलब्ध हों इसकी भी तोड़ भ्रष्टाचार करने वालों ने निकाल ली है। मगर इस तोड़ में भी उनकी चूक सामने आ गई है। फर्जी बिल लगाकर सरपंच सचिव खुली लूट मचा रहे हैं। बिल भी ऐसे ऐसे कि सीमेंट की दुकान से स्टेशनरी ख़रीदी जा रही है और किराना दुकान से रेत एवं लोहा, फर्नीचर दुकान से पेंटिंग का सामान खरीदने के बिल पोर्टल में लगे नजर आ रहे हैं और भुगतान भी दर्शाया गया है। फर्जी बिलों से फर्जी भुगतान लिया जा रहा है। जनपद पंचायत बकावंड की अधिकांश ग्राम पंचायतों में फर्जी बिल लगाकर भुगतान प्राप्त किया जा रहा है। ग्राम पंचायत फरसीगांव, बेडा़ उमरगांव, राजनगर, बड़े देवड़ा, बकावंड, जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली क्षेत्रों की पंचायतों 15वें वित्त, मूलभूत मद, स्वच्छ भारत मिशन, और महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना, डीएमएफ आदि योजनाओं के फर्जी बिलों को पोर्टल पर अपलोड करना आम बात हो गई है। पंचायत के सचिव सरपंच द्वारा हजारों के बिलों अपलोड कर आम जनता को भ्रमित किया जा रहा है। ग्रामवासी अगर सचिव से पूछते हैं कि किस सामग्री का बिल लगा है तो सचिव जवाब देते है नेट से निकाल लीजिए। जब पंचायत मैं नाली निर्माण, मरम्मत, साफ सफाई, सोख्ता गड्ढा, हैंडपंप मरम्मत, स्ट्रीट लाइन एवं पाइप लाइन विस्तार जैसे काम जमीनी स्तर पर नहीं हो रहे हैं, सिर्फ कागजों पर ही काम दिखाया जा रहा है। बिल में भुगतान के नाम पर सरपंच, सचिव केरिश्तेदार, परिवार के किसी सदस्य या सरपंच के खाते में ही रुपयों को स्थानांतरण किया जा रहाहै। मनीष सेठिया नामक व्यक्ति को नाली सफाई के नाम पर 49 हजार 500 रुपयों के और इसी व्यक्ति को स्ट्रीट लाइट विस्तार के नाम पर फिर 49 हजार 500 रुपयों और गली सड़क मरम्मत के नाम पर इतनी ही रकम का भुगतान करना दर्शाया गया है। इससे लगता है कि एक ही व्यक्ति हर तरह के कार्य करने में दक्ष है और हर कार्य की राशि 49 हजार 500 रुपए होना भी संदेह को जन्म देता है। इसी तरह मोहन लाल भारती नामक व्यक्ति को बोरगुड़ा से राजनगर तक सीसी सड़क निर्माण की मजदूरी के 36 हजार रुपए और हैंडपंप के आसपास की सफाई के एवज में 21 हजार रुपए का भुगतान दिखाया गया। हेमनाथ पटेल नामक व्यक्ति को बोरगुड़ा -राजनगर सीसी सड़क निर्माण की मजदूरी राशि 20 हजार रुपए और हैंडपंप के आसपास की सफाई कार्य के 10 हजार रुपए का भुगतान करना दिखाया गया है। पंचायतों के कर्मचारियों के काले कारनामों या फर्जी बिल की कभी जांच तक नहीं की जाती।

होगी कड़ी कार्रवाई
सरकारी फंड का दुरूपयोग और फर्जी बिल लगाकर राशि हड़पना बड़ा अपराध है। सरपंच और सचिव ऐसा फर्जी काम कर रहे हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
-एसएस मंडावी, सीईओ, जनपद पंचायत बकावंड

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *