0 करोड़ों के नुकसान के बाद भी नहीं जाग रहा प्रबंधन
(अर्जुन झा) नगरनार। नगरनार इस्पात संयंत्र में बस्तर के परिवहन व्यवसायियों को काम और स्थानीय बेरोजगार युवाओं को नौकरी तथा श्रमिकों को रोजगार देने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन का सिलसिला लगातार जारी है। वहीं दूसरी ओर करोड़ों का नुकसान होने के बाद भी इस्पात संयंत्र प्रबंधन और एनएमडीसी प्रबंधन की नींद नहीं टूट रही है।
जय झाड़ेश्वर समिति और बस्तर परिवहन संघ के पदाधिकारी एवं सदस्य हफ्तेभर से नगरनार स्टील प्लांट के गेट नंबर -2 के सामने डटे रहकर धरना दे रहे हैं। उनकी मांग है कि संयंत्र से माल परिवहन का काम स्थानीय परिवहन व्यवसायियों को दिया जाए, प्लांट में बस्तर संभाग के शिक्षित अर्ध शिक्षित बेरोजगारों को नौकरियां दी जाए और यहीं के मजदूरों को काम पर रखा जाए। दोनों संगठनों के पदाधिकारियों का आरोप है कि संयंत्र की स्थापना के लिए जमीन लेते समय स्थानीय लोगों के साथ जो समझौता किया गया था, उसका एनएमडीसी प्रबंधन खुलेआम उल्लंघन कर रहा है। बाहरी लोगों को नौकरियां दी जा रही हैं, माल परिवहन का काम बाहरी ट्रांसपोर्टरों से कराया जा रहा है।. संयंत्र के प्रदूषण से हमारी जमीन, जल हवा प्रदूषित हो रही है, बीमारियों का शिकार हम हो रहे हैं और प्लांट का लाभ बाहरी लोगों को मिल रहा है। इन मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने प्लांट से उत्पादित माल की निकासी ठप कर दी है। बाहर ट्रकों की कतार लग रही है। इससे प्लांट को करोड़ों का घाटा हो रहा है। बावजूद प्रबंधन सकारात्मक रुख नहीं दिखा रहा है।
दोनों पक्ष समझौते के लिए राजी
अभी भी खबर मिली है कि दोनों पक्ष समझौते के लिए राजी हो गए हैं।नगरनार स्टील प्लांट की मातृ संस्था एनएमडीसी और जय झाड़ेश्वर समिति एवं बस्तर परिवहन संघ के बीच समझौता वार्ता शुरू हो गई है और इसके सकारात्मक परिणाम आए हैं। उम्मीद की जा रही है कि अब गतिरोध दूर हो जाएगा और धरना प्रदर्शन भी खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही संयंत्र में उत्पादन एवं परिवहन गतिविधियां भी शुरू हो जाएंगी।