नक्सलियों ने जन–अदालत लगाकर शिक्षादूत को लाठियों से बेतहाशा पीटा, फिर रस्सी से घोंट दिया गला

0 बस्तर संभाग में फिर एक आदिवासी युवक को उतार दिया मौत के घाट

(अर्जुन झा) जगदलपुर। पुलिस और सुरक्षा बलों के हाथों लगातार शिकस्त खाते चले आ रहे नक्सली अब निरीह ग्रामीणों पर अपनी भड़ास निकलकर लगातार उनकी हत्याएं कर रहे हैं। बीजापुर में दो आदिवासियों को फांसी पर लटकाने के बाद अब सुकमा जिले में एक आदिवासी नौजवान को पहले डंडे से जमकर पीटा गया, फिर रस्सी से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई।
बस्तर संभाग में पुलिस और सुरक्षा बल ग्रामीणों का दिल जीतने में जहां कामयाब रहे हैं, वहीं ग्रामीणों का नक्सलियों से मोहभंग भी होता जा रहा है। नक्सलियों के गलत कार्यों और आदेशों का ग्रामीण छिटपुट विरोध भी करने लगे हैं। यही वजह है कि नक्सली अब अपने भय और आतंक के राज को पुनः बहाल करने में लगे हुए हैं।. इसके लिए वे निरीह आदिवासियों को सरेआम मौत की नींद सुला रहे हैं। बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में दो आदिवासियों को फांसी पर लटकाने के बाद अब नक्सलियों ने सुकमा जिले में एक शिक्षित आदिवासी युवक को मार डाला।नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर गांव के स्कूल में शिक्षादूत दूधी अर्जुन पिता दूधी मंगडू की हत्या कर दी। घटना सुकमा जिले के जगरगुंडा थाना क्षेत्र के गोंदपल्ली गांव की है। नक्सलियों ने जन अदालत में शिक्षादूत दूधी अर्जुन पर पुलिस के लिए मुखबिरी करने का आरोप लगाया और पहले उसे लाठी से जमकर पीटा फिर रस्सी से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।
नक्सलियों की धमकी के भय से मृतक के परिजनों ने घटना की सूचना पुलिस को नहीं दी है। रविवार को गांव में दूधी अर्जुन का अंतिम संस्कार किए जाने ने की सूचना पुलिस को प्राप्त हुई है। एसपी सुकमा किरण चव्हाण ने बताया कि अंदरूनी क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के कैंप खुलने से नक्सलियों का जनाधार खत्म होता जा रहा है। इस वर्ष सीधी मुठभेड़ में नक्सलियों को लगातार क्षति हुई है। इसकी बौखलाहट में वे अब ग्रामीणों को निशाना बनाकर उनकी हत्या कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चार दिन पहले ही बीजापुर जिले के जप्पेमरका गांव में नक्सलियों ने दो निरीह आदिवासियों को सरेआम फांसी पर लटका दिया था। इन दोनों पर भी पुलिस की मुखबिरी करने का आरोप लगाकर उन्हें मौत की सजा दी गई थी। इसके अलावा छात्रावास से बुलवाकर एक मासूम आदिवासी छात्र को घंटों बंधक बनाए रखा और मसनसिक यंत्रणा दी गई थी।दरअसल नक्सली जिसे चाहते हैं, दोषी ठहरा देते हैं और सजा भी तुरंत दे देते हैं। सामने वाले को अपने बचाव में पैरवी का मौका भी नहीं देते। ठीक वैसे ही जैसे तालिबानी लड़ाके सजा देते हैं। बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के सुदूर एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्र की ग्राम पंचायत मरदापाल के आश्रित गांव जप्पेमरका के जंगल में मंगलवार और बुधवार को दो दिनों तक नक्सलियों की भैरमगढ़ एरिया कमेटी ने जन अदालत लगाकर दो ग्रामीणों को मौत की सजा सुनाई और उन्हें फांसी पर लटका दिया था। दोनों ग्रामीण जप्पेमरका के रहने वाले थे। उन पर नक्सलियों ने पुलिस की मुखबिरी का आरोप लगाया और उन्हें अन्य ग्रामीणों के सामने फांसी पर टांग दिया गया था। इसके साथ ही मीरतुर के छात्रावास में रखर सातवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे इसी गांव के 13 वर्षीय छात्र पोडियम हिड़मा को उसके पालक के माध्यम से गांव बुलवा कर नक्सली जन अदालत वाली जगह पर ले गए थे। जन अदालत में नक्सालियों ने छात्र को घंटों बंधक बनाए रखा और उससे लंबी पूछताछ की। उसके बाद छात्र छोड़ने का फरमान जारी किया गया। इस दौरान यह नाबालिग छात्र घंटों मानसिक यंत्रणा के दौर से गुजरता रहा। इसी जन अदालत में जप्पेमरका के मांडवी सुजा व पोडियामी कोसा को सरेआम फांसी पर लटका दिया गया था। इन दोनों ग्रामीणों के शवों के पास नक्सली पर्चे भी पड़े मिले थे। दोनों ग्रामीण गांव में खेती किसानी का काम करते थे। जप्पेमरका के दो ग्रामीणों की मौत के बारे में पुलिस को कोई सूचना परिजनों द्वारा नहीं दी गई।

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