0 जगदलपुर में बढ़ गई है आवारा कुत्तों की आबादी
0 श्वान नसबंदी पर खर्च होंगे लाखों रुपए, कहां है फंड?
(अर्जुन झा) जगदलपुर। शहर के स्ट्रीट डॉग्स आवारगी नहीं कर पाएंगे। जिस तरह देश में इमरजेंसी के दौरान लोगों को धर पकड़ कर उनकी जबरिया नसबंदी कराई जा रही थी, वैसा ही आपातकाल अब जगदलपुर के कुत्तों के लिए भी लागू हो गया है। ऐन मेटिंग सीजन में बेचारों की पकड़ पकड़ कर नसबंदी की जाने लगी है। उनके लिए यह इमरजेंसी नगर निगम प्रशासन ने लागू की है। जगदलपुर में कुत्तों की आबादी में तेजी से इजाफा हुआ है। ज्यादातर कुत्ते मछली मटन और चिकन मार्केट में देखे जाते हैं। इसके अलावा मांसाहारी होटलों के आसपास भी बड़ी संख्या में कुत्ते मंडराते रहते हैं। आवारा कुत्ते हिंसक भी हो चले हैं। नगर में कुत्तों के हमलों और काटने की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। आवारा कुत्ते बुजुर्गों और बच्चों को ज्यादा निशाना बनाते हैं। ये कुत्ते मवेशियों पर भी हमला करने से नहीं चूक रहे हैं। रात के समय ये कुत्ते कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो उठते हैं और साईकिल अथवा बाईक से जा रहे लोगों को काफी दूर तक दौड़ाते हैं। इस चक्कर में कई बार वाहन चालक गिरकर बुरी तरह जख्मी हो जाते हैं, हाथ पैर भी तुड़वा बैठते हैं। अब नगर पालिक निगम प्रशासन ने शहर के लोगों को आवारा कुत्तों के आतंक से निजात दिलाने का बीड़ा उठाया है। नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों के बधियाकरण यानि नसबंदी और टीकाकरण के लिए 9 सितंबर से विशेष अभियान शुरू किया गया है। इस कार्य के लिए भिलाई दुर्ग के संस्था एनिमल केयर सर्विस द्वारा कुत्तों को पकड़ कर उनका बधियाकरण एवं टीकाकरण का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य की शुरुआत संजय बाजार क्षेत्र से की गई है। इस अभियान के तहत पूरे शहर के सभी वार्डो से आवारा कुत्तों पकड़ कर उनका बधियाकरण एवं टीकाकरण किया जाएगा इसके अतिरिक्त अगर किसी भी शहर वासी को आवारा कुत्तों से संबंधित शिकायत हो तो नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में सम्पर्क कर सकते हैं।
प्रति कुत्ता 1 हजार का खर्च
कुत्तों की नसबंदी पर बड़ी रकम खर्च होती है। कुत्तों को पकड़ कर नसबंदी वाली जगह पर लाने, उनकी नसबंदी करने, फिर डाइट देने, एंटी रैबिज टीका लगाने, जब वह स्वस्थ महसूस करने लगे तब उसे छोड़ने आदि प्रक्रियाओं पर प्रति कुत्ता लगभग एक हजार रुपए का खर्च आता है। एक अनुमान के मुताबिक पूरे जगदलपुर में लगभग 3 हजार आवारा कुत्ते हैं। इस लिहाज इन सारे कुत्तों की नसबंदी पर तीस लाख रुपए खर्च होंगे। जिस शहर में नागरिक सुविधाएं मुहैया कराने के लिए रकम के लाले पड़े हों, उस शहर में कुत्तों पर तीस लाख रुपए फूंकना मायने रखता है। वैसे जन स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गलत नहीं है, क्योंकि कुत्ते का काटा पानी भी नहीं मांगता।