0 गणेश पूजा के खिलाफ प्रचार पर भड़के सांसद
0 बूढ़ादेव हमारे आराध्य, तो उनके पुत्र गणेश जी की पूजा पर आपत्ति क्यों
(अर्जुन झा)बकावंड। बीते कुछ दिनों से बकावंड अंचल के गांवों में गणेश जी की पूजा करने और उनकी प्रतिमा स्थापित करने के खिलाफ कुछ तत्वों द्वारा चेतावनी भरे अंदाज में दुष्प्रचार किया जा रहा है। इसे लेकर ऐसे विघ्नसंतोषी तत्वों को बस्तर के सांसद महेश कश्यप ने सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि आदिवासी समाज को बांटने की कोशिश करने वाले बाज आ जाएं।
सांसद महेश कश्यप ने इस संवाददाता से विशेष चर्चा में आदिवासी समुदाय में टूट पैदा करने वाले तत्वों को सख्त लहजे में चेतावनी दी है। उन्होंने आदिवासी बंधुओं से कहा है कि हम आदिवासी मूलतः सनातन धर्म के मानने वाले हैं। हम जिस बूढ़ादेव के आराधक हैं, वे भगवान शंकर ही हैं।भगवान शंकर की जब हम बूढ़ादेव के रूप में पूजा करते हैं, तो उनके पुत्र गणेश जी की पूजा क्यों नहीं कर सकते। बूढ़ादेव की तरह गणेश जी भी हमारे आराध्य हैं। सांसद महेश कश्यप ने कहा कि प्राचीन काल से हम आदिवासियों के नाम के आगे पीछे देवों के भी नाम जुड़े रहते हैं। उन्होंने उदाहरण रखते हुए कहा जैसे आयतू राम, मंतूराम, मनीराम, रामसाय आदि। श्री कश्यप ने अपने नाम का हवाला देते हुए कहा कि मेरा नाम महेश है, भगवान बूढ़ादेव यानि शंकर जी का भी एक नाम महेश है। श्री कश्यप ने कहा कि बस्तर संभाग में जगह जगह प्राचीन गणेश प्रतिमाएं, शिवलिंग हैं। इन प्रतिमाओं को कोई बाहर के लोगों ने यहां लाकर नहीं रखा बल्कि हमारे पूर्वजों ने रखा है। सांसद महेश कश्यप ने कहा कि मुगलों और अंग्रेजों सदियों तक भारत में राज किया, कई धर्मों का उन्होंने विनाश किया, उनकी परंपराओं और संस्कृति को नष्ट कर दिया। मगर हमारा आदिवासी समाज आज भी अपनी प्राचीन परंपराओं पर अडिग है। पिछले कुछ सालों से कुछ लोग सेवा, उपचार, शिक्षा की आड़ में आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराते आ रहे हैं। इस ओर ध्यान देने के बजाय समाज के कुछ ठेकेदार आदिवासी समुदाय को उनके मूल सनातन धर्म से अलग करने का दुष्चक्र रच रहे हैं। ऐसे लोगों को हमारा समाज मुहतोड़ जवाब देगा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
आखिर क्या है माजरा
उल्लेखनीय है कि बस्तर जिले के कुछ भागों में आदिवासियों को सनातन धर्म से विमुख करने के लिए कतिपय सामाजिक और अन्य संगठन लगातार काम कर रहे हैं। सनातन धर्म के देवी देवताओं की पूजा न करने, प्रतिमाएं स्थापित न करने और सनातन उत्सव त्यौहार न मनाने के लिए उकसाने का काम किया जा रहा है। ऐसे तत्व आदिवासी समुदाय को बांटकर धर्म विमुख करने में लगे हुए हैं। उनका मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म को छिन्न भिन्न करना है। पिछले कुछ दिनों से बकावंड अंचल के गांवों में कुछ तत्व पर्चे पम्पलेट बांटकर और जुबानी तौर पर आदिवासियों को गणेश उत्सव न मनाने व गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित न करने की चेतावनी दे रहे हैं। उन्हें बरगलाया जा रहा है कि गणेश जी और अन्य देवी देवताओं की पूजा आदिवासी संस्कृति के खिलाफ है। गणेशोत्सव मनाने व प्रतिमाएं स्थापित करने वालों को तरह तरह की धमकियां देकर डराने की कोशिश भी की जा रही है। इससे अंचल के आदिवासी समुदाय के लोग उहापोह की स्थिति में हैं। पिछले साल भी ऑटो में स्पीकर लगाकर गांव गांव में गणेशोत्सव न मनाने के लिए दुष्प्रचार करते हुए ऎसी ही चेतावनी दी गई थी।