0 कोंडागांव के वेटनरी हॉस्पिटल की दुर्दशा
(अमरेश कुमार झा) कोंडागांव। एक दौर था जब जिला मुख्यालय कोंडागांव स्थित पशु चिकित्सालय का डंका दूसरे प्रदेशों में भी बजता था। यहां के डॉक्टर द्वारा किए जाने वाले पशुओं के ईलाज की कोई सानी नहीं थी। दूसरे प्रदेशों के पशु पालक और किसान अपने मवेशियों का ईलाज और बड़ा ऑपरेशन कराने कोंडागांव के पशु चिकित्सालय में आते थे। प्रशासनिक उपेक्षा ने इस हॉस्पिटल की साख को मिट्टी में मिला दिया है।
पशु चिकित्सालय अब केवल खानापूर्ति के लिए संचालित होता नजर आ रहा है।एक समय था जब अन्य विशाखापट्टनम व उड़ीसा के पशु पालक अपने पशुओं को लेकर चिकित्सा व ऑपरेशन के लिए कोंडागांव पशु चिकित्सालय पहुंचते थे। डॉ ढालेश्वरी व डॉ नीता मिश्रा के तबादले के बाद अब जिला मुख्यालय स्थित पशु चिकित्सालय में अब ऑपरेशन व पशुओ के समुचित इलाज की व्यवस्था तो दूर अब पशुओ को हाथ लगाने वाला कोई चिकित्सक भी नजर नहीं आता है। अक्सर पशु चिकित्सालय खोलने के समय पर अस्पताल से ही चिकित्सक नदारत रहते हैं। जिसके चलते पशुओ की चिकित्सा के लिए पहुंचे आमजन भटकते नजर आते हैं। नितेश मानिकपुरी ग्राम केवटी से 11 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय अपने पालतू कुत्ते को लेकर ईलाज हेतु पहुंचा था। उसने बताया कि अस्पताल में पशु चिकित्सक उपलब्ध नही थे जिसके बाद वह वापस अपने गांव लौट गया। हालांकि डॉक्टरों के अनुपस्थिति में एवीएफओ अवसन कुमार, अटेंडेंट बुधराम व पल्लवी पशुओं का उपचार करते नजर आए।अपने पशुओं के उपचार के लिए पहुंचे लोगो ने बताया कि वे सुबह 8 बजे से पहुंचे हैं व 10 बज चुका है चिकित्सक अभी तक नही आए हैं। वे फोन भी नही उठा रहे हैं।जबकि लोगों को अपने पशुओं के इलाज के लिए अस्पताल में सुबह 7 से 11 बजे तक और शाम को 5 से 6 बजे तक खुलने का समय निर्धारित है। वही जब डिप्टी डायरेक्टर वेटनरी कोंडागांव शिशिरकांत से डॉक्टरों के अस्पताल कार्यालय समय में अनुपस्थित पर जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर अस्पताल में बैठते हैं। हमने कई बार देखा है उन्हें बैठे हुए, हो सकता है कहीं फील्ड पर गए हों।अब देखने वाली बात है कि लचर अवस्था में पहुंच चुकी कोंडागांव की पशु चिकित्सा व्यवस्था में सुधार लाने में क्या कदम उठाते हैं?