० सुकमा का वह नेता कौन, रहस्य खुलना है बाकी
(अर्जुन झा) जगदलपुर। बस्तर के चार पत्रकारों के कथित रुप से गांजा के साथ आंध्रप्रदेश में पकड़े जाने के मामले में कोर्ट ने 23 दिनों बाद जमानत दे दी। कोर्ट द्वारा सशर्त जमानत दी गई है। वहीं इस प्रकरण में जिस नेताजी का जिक्र कोंटा टीआई ने किया था, उस नेताजी पर से अभी पर्दा उठना बाकी है। पत्रकारों की गिरफ्तारी और रेत की स्मगलिंग में इस नेताजी की क्या भूमिका है? इस सवाल का जवाब बस्तर संभाग की जनता जानना चाहती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भी नेताजी पर सवाल उठाए थे।
बस्तर के चार पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर बस्तर और छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने काफी नाराजगी जाहिर करते हुए पुरजोर विरोध किया था। पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भी सवाल उठाए थे। दीपक बैज ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि रेत के अवैध खनन और भंडारण करने के मामले की पड़ताल करने गए पत्रकारों को कथित नेताजी के इशारे पर झूठे मामले में फंसाया गया है। नेताजी के संरक्षण में ही सुकमा जिले के कोंटा में शबरी नदी से रेत का अवैध खनन व बड़ी मात्रा में भंडारण किया गया है। इस रेत की तस्करी आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में की जा रही है। श्री बैज ने विवादित टीआई द्वारा फोन में किसी से यह कहे जाने का हवाला दिया था कि ‘नेताजी को बता देना, काम हो गया है।’ पीसीसी चीफ ने कहा था कि नेताजी के कहने पर ही टीआई ने पत्रकारों की गाड़ी में गांजा रखवाया था और पत्रकारों की गाड़ी जब आंध्रप्रदेश की सीमा में पहुंच गई, तब टीआई ने वहां की पुलिस को फोन करके गाड़ी में गांजा रखे होने की सूचना दी थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने नेताजी का चेहरा उजागर किए जाने पर जोर देते हुए पत्रकारों की गिरफ्तारी के लिए छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश की सरकारों को घेरा था। कांग्रेस और पत्रकारों के विरोध और ज्ञापन के बाद सुकमा पुलिस ने कोंटा के टीआई को सीसीटीवी फ़ुटेज नष्ट करने के आरोप में गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया था। पत्रकार बापी राय अपने अन्य साथी पत्रकारों के साथ कोंटा गए थे। यहां वे अपने मित्र के भाई के जन्मदिन की पार्टी में शामिल हुए। पार्टी के बाद कोंटा से रेत भरे वाहनों को आंध्रप्रदेश जाते देख इन पत्रकारों ने पूछताछ की। जिसके बाद टीआई कोंटा से उन की तीखी झड़प हुई थी। झड़प के बाद चारों पत्रकार कोंटा के ही लॉज में रुक गए। सुबह जब चारों आंध्रप्रदेश स्थित गांव चट्टी से चाय पीकर लौट रहे थे, तो आंध्र प्रदेश पुलिस ने उन्हें रोका और वाहन की तलाशी ली।उसमें से 15 किलो गांजा बरामद हुआ।
सीसीटीवी फुटेज किया डिलीट
पत्रकारों का आरोप था कि विवाद के बाद रात को पत्रकार सो रहे थे, तब उनकी गाड़ी में षडयंत्रपूर्वक गांजा रख दिया गया था। कथित रुप से टीआई कोंटा रात में उस लॉज में भी पहुंचे थे, जहां पत्रकार सो रहे थे। चर्चा है कि इसी समय का सीसीटीवी फुटेज कोंटा के ही एक विवादित व्यक्ति की उपस्थिति और उसके प्रभाव में डिलीट करा दिया गया। लेकिन आंध्रप्रदेश पुलिस ने चारों ही पत्रकारों को गांजा रखने के आरोप में गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया था।
कोर्ट ने रखी यह शर्त
राज महेंद्रवरम के विशेष न्यायाधीश (नारकोटिक्स) आर. शिव कुमार ने इस मामले में चारों पत्रकारों को सशर्त ज़मानत दे दी। विचारण के दौरान सरकार की तरफ़ से ज़मानत का विरोध करते हुए कहा गया कि आरोपी प्रभावशाली हैं और छत्तीसगढ़ राज्य में उनका पता लगाना मुश्किल होगा। शासन की ओर से इस मामले में दो अन्य फरार आरोपियों का ज़िक्र करते हुए यह भी कहा गया कि आरोपी गवाहों को भी प्रभावित कर सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। जबकि बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि, पूरी कार्यवाही दूषित है, और झूठा मामला थोपा गया है। विचारण के दौरान राज्य सरकार की ओर से यह स्वीकार किया गया कि मामले में जप्त गांजा मध्यम मात्रा का है और एनडीपीएस की धारा 37 के प्रावधान सक्षमता से प्रभावी नहीं होते हैं। सरकारी पक्ष ने यह भी स्वीकार किया कि, सभी गवाह सरकारी गवाह हैं। कोर्ट ने ज़मानत आवेदन स्वीकार करते हुए आदेश में लिखा है कि चारों 20 हजार रुपए के निजी मुचलके और समान राशि के दो स्थानीय ज़मानतदारों के साथ ज़मानत दी जाती है, लेकिन यह शर्त है कि वे सभी चार्जशीट दाखिल होते तक हर मंगलवार को दिन के समय चिंतूर पुलिस स्टेशन में हाज़िर होंगे।