0 108 में गूंजी किलकारी, स्वास्थ्य कर्मी सोते रहे
(अर्जुन झा) जगदलपुर। बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों में स्वास्थ्य सेवा किस कदर बदहाल है, इसके उदाहरण आएदिन सामने आते रहते हैं। अब अति नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले से एक ऎसी खबर आई है, जो छत्तीसगढ़ सरकार के सारे किए धरे पर पानी फेरने वाली साबित हो रही है। दरअसल इस जिले के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका रहा और एक जननी ने अस्पताल की दहलीज पर एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दिया। फिर भी अस्पताल का ताला नहीं खुल पाया।
बस्तर संभाग के शहरों व कस्बों में पदस्थ सरकारी डॉक्टर जहां प्राइवेट प्रेक्टिस में मस्त हैं, वहीं अंदरूनी इलाकों में पदस्थ डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी मर्जी के मालिक बने वैठे हैं। अंदरूनी इलाकों के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के कपाट सांझ ढलते ही बंद कर दिए जाते हैं और डॉक्टर्स सहित सारे कर्मचारी घरों को लौट जाते हैं। इसका एक ज्वलंत उदाहरण संभाग के दंतेवाड़ा जिले के तुमनार उप स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिला। ग्राम गुमलनार पटेलपारा की गर्भवती महिला प्रसव महिला पुंगार अटामी को शुक्रवार रात 11 से 12बजे के बीच प्रसव पीड़ा उठी। उसके परिजनों ने 102 जननी एक्सप्रेस को डायल किया, फिर भी एंबुलेंस न भेजकर उन्हें 112 में कॉल करने की सलाह दे दी गई। गर्भवती की हालत बिगड़ती देख संजीवनी 108 को कॉल किया गया। लगभग आधे घंटे में संजीवनी टीम मितानिन के साथ पहुंच गई और गर्भवती महिला पुंगार अटामी को रात करीब 1 बजे उप स्वास्थ्य केंद्र तुमनार पहुंचाया गया। मगर उप स्वास्थ्य केंद्र का मेन गेट बंद मिला और कोई भी कर्मचारी वहां मौजूद नहीं था। आखिरकार 108 में मौजूद ईएमटी रविंद्र कुमार, पायलट अशोक सिंह ठाकुर, मितानिन और गर्भवती के पति घासीराम तथा सास-ससुर ने मिलकर संजीवनी 108 एंबुलेंस में ही नार्मल डिलवरी करवाई। गनीमत रही कि कोई भी अप्रिय स्थिति निर्मित नहीं हुई। सवाल यह उठता है कि आपातकाल के दौरान ही इन सेवाओं की जरूरत पड़ती है। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि इन सेवाओं के प्रति कर्मी लापरवाह होते हैं और व्यवस्था में बड़ी खामियां देखने को मिल जाती हैं। बहरहाल दंतेवाड़ा जिले में नए सीएमएचओ की पदस्थापना के बाद व्यवस्था में सुधार की उम्मीद जरुर जागी है, लेकिन अब भी लगातार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं।