0 द बस्तर मड़ई, सांस्कृतिक पुरातात्विक एवं पर्यटन स्थलों में आएं और करें अनुभव
जगदलपुर। बस्तर की अपने नैसर्गिक सौंदर्य, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, अनूठी सामाजिक ताना-बाना और ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के स्थलों के बारे में सोशल मीडिया के इनफ्लुरेंस अब देश-दुनिया को परिचित करवाएंगे। शुक्रवार को आसना स्थित बादल अकादमी में कलेक्टर विजय दयाराम के. और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए सोशल मीडिया इनफ्लुरेंस से चर्चा करते हुए “द बस्तर मड़ई” कॉन्सेप्ट के माध्यम से बस्तर को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने में सहयोग देने कहा। ज्ञातव्य है कि जिला प्रशासन द्वारा बस्तर में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु तैयार किए गए द बस्तर मड़ई के लोगो, बस्तर टूरिस्ट सर्किट मैप और थीम म्यूजिक का हाल ही में विमोचन किया गया है। इस मौके पर कलेक्टर विजय दयाराम के. ने बस्तर की खूबियों को रेखांकित करते हुए बताया कि लगभग 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा के दौरान विभिन्न पूजा विधान के अंतराल को देखते हुए दशहरा के साथ साथ बस्तर के प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थलों, एडवेंचर स्थल, सांस्कृतिक स्थलों से पर्यटकों को अवगत कराने के लिए प्रशासन द्वारा “द बस्तर मड़ई” का कॉन्सेप्ट तैयार किया गया है। इसके तहत बस्तर में पर्यटकों को अन्य स्थलों का भ्रमण करने व देखने, समझने का अवसर मिल सके। उन्होंने बताया कि द बस्तर मड़ई में नीले रंग में बस्तर की जल से संबंधित पर्यटन स्थल, हरे रंग में जंगल से संबंधित स्थल, भूरे रंग गुफा और पुरातव स्थल, पीले रंग में आदिवासी संस्कृति एवं बस्तर के हाट-बाजार और लाल रंग में बस्तर की आध्यात्मिक शक्ति विशेषकर आराध्य देवी मां दंतेश्वरी और ऐतिहासिक बस्तर दशहरा को प्रदर्शित किया गया है। बस्तर टूरिस्ट सर्किट मैप में चार रंगों के जरिए 42 पर्यटन स्थलों की जानकारी तथा स्थलों के संक्षिप्त विवरण के साथ रूट की जानकारी और बस्तर जिला में पहुंचने के लिए परिवहन सेवा रेलमार्ग, वायुमार्ग एवं सड़क मार्ग की जानकारी दी गई है। पहले लोग बस्तर के प्रसिद्ध दशहरा, चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात, कुटुमसर गुफा को देखने आते थे। इसमें परिवर्तन करते हुए बस्तर की अन्य ख़ूबसूरती और सांस्कृतिक विरासत को भी दिखाने का प्रयास किया जा रहा है।
धुरवा तुवाल से किया सम्मान
इस दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए सोशल मीडिया इनफ्लुरेंस एवं युवाओं ने बस्तर के प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थलों तथा पर्यटन स्थलों को देखने समझने के लिए अपार उत्साह दिखाया और अगले दो दिन 31 अगस्त एवं 1 सितम्बर को पूरे बस्तर का भ्रमण कर बस्तर की खूबियों को संजोने के क्रम में भरपूर सहभागी बनने की बात कही। इस मौके पर कलेक्टर विजय ने सभी सोशल मीडिया इनफ्लुरेंस एवं युवाओं को धुरवा तुवाल भेंटकर सम्मानित किया और धुरवा तुवाल के संबंध में बताया कि बस्तर की धुरवा जनजाति के लोग अपने घर आए मेहमान को यह अंग वस्त्र सम्मान स्वरूप भेंट करते हैं। इस अवसर पर बादल अकादमी में बस्तर की लोक संस्कृति की छटा भी देखने को मिली, जिसमें पारम्परिक लोक कलाकारों द्वारा आकर्षक धुरवा लोक नृत्य एवं डंडारी लोक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान बादल अकादमी के लोक कलाकारों ने गोंडी लोकगीत की मधुर प्रस्तुति देकर बस्तर को देखने समझने और बूझने का प्रेरक संदेश दिया। कार्यक्रम में सीईओ जिला पंचायत प्रकाश सर्वे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग, एसडीएम जगदलपुर भरत कौशिक सहित अन्य अधिकारी और पर्यटन से जुड़े युवाओं के साथ ही स्थानीय लोक कलाकार मौजूद रहे।
क्या है द बस्तर मड़ई
लोक संस्कृति मड़ई में बस्तर की परंपरा और संस्कृति को एक आधुनिक समागम के साथ अनुभव किया जा सकता है। इसमें विविध सांस्कृतिक आयाम, सामुदायिक सहभागिता और बस्तर की धरोहर को पर्यटकों के मन में जीवंत ढंग से चित्रित करने की कोशिश है। बस्तर अंचल के नैसर्गिक सौंदर्य, समृद्ध संस्कृति, प्रचुर खनिज एवं वनोपज संपदा के साथ ही ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व एवं पुरातात्विक महत्व के स्थलों को वैश्विक पटल पर प्रदर्शित करने सहित पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला प्रशासन द्वारा ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व के दौरान पर्यटकों को बस्तर को करीब से देखने-समझने एवं बूझने का अवसर प्रदान करने हेतु “द बस्तर मड़ई” कॉन्सेप्ट तैयार किया गया है।