होटलों में घरेलू रसोई गैस का इस्तेमाल, गंदगी के बीच बनते हैं खाद्य पदार्थ

0 खाद्य विभाग के अधिकारी कैसे बने हुए हैं बेखबर 
0 खाद्य सामग्री की गुणवत्ता, गंदगी पर कार्रवाई नहीं 
(अमरेश झा) कोंडागांव। जिला मुख्यालय कोंडागांव में संचालित होटलो में घरेलू गैस सिलेंडर का खुलेआम बेधड़क उपयोग किया जा रहा है। होटलों में गंदगी पसरी है, खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता भी ठीक नहीं रहती। लोगों की सेहत के साथ खुलकर खिलवाड़ होने के बावजूद खाद्य विभाग के अधिकारी आंख बंद किए बैठे हैं। घरों में उपयोग होने वाली रसोई गैस से होटलों में खाद्य सामग्री बनाई जा रही है। वहीं गरीबों को वितरित किया जाने वाला पीडीएस का चावल भी बेखौफ़ होकर होटल संचालक अपने होटल में खपा रहे हैं। इस चावल से इडली डोसा, सांभर बड़ा, भात बनाकर ग्राहकों को परोसा जा रहा है। फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारियों की नजर होटल में पसरी गंदगी व होटलों में परोसी जा रही अमानक खाद्य सामग्रियों पर कभी नहीं पड़ती है। अधिकारियों का सारा ध्यान केवल वसूली पर रहता है।

शहर के होटलो में घरेलू गैस का दुरुपयोग व होटल में खप रहे पीडीएस का चावल सम्बंधित विभाग नहीं रोक पा रहा है। मिली शिकायत अनुसार शहर के रायपुर नाके पर मेन रोड पर स्थित चौधरी स्वीट्स में घरेलू गैस सिलिंडर उपयोग किया जा रहा है जिसकी जानकारी होने के बावजूद भी घरेलू गैस का दुरुपयोग रोकने के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वही सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इन होटलो में घरेलू गैस सिलिंडरों से खाली कॉमर्शियल गैस सिलेंडरों में गैस रिफिलिंग कर उनका उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। भले ही खाद्य विभाग की ओर से कार्रवाई के नाम पर अपनी पीठ थपथपाई जा रही हो, लेकिन स्थिति यह है कि छह माह में खाद्य विभाग ने किसी होटल और ढाबे पर कार्रवाई नहीं कीे। ऐसे में होटल संचालक खुलेआम घरेलू गैस का स्तेमाल कर रहे हैं। आपको बता दें कि इन होटलों में घरेलू सिलेंडर का उपयोग तो हो ही रहा है साथ ही होटल में पसरी गंदगी और अमानक खाद्य सामग्रियों पर भी जिम्मेदार अधिकारियों की नजर नही पड़ रही है। शिकायत मिलने पर जब इस संवाददाता संबंधित होटल का जायजा लिया। होटल में गंदगी पसरी थी, वहां न हाथ धोने की व्यवस्था थी और ना ही खाद्य सामग्री बनाने के बर्तनों की सफाई की। होटल में रखी खाद्य सामग्री व मिठाइयों की निर्माण तिथि एवं उपयोग की मान्य समय सीमा तक लिखना होटल संचालक ने जरूरी नहीं समझा था। होटल स्वामी से बात करने पर उन्होंने बताया कि संबंधित अधिकारी ने उन्हें ऐसा करने से मना कर रखा है। अब इसे क्या विभाग की संलिप्तता कहें या उनकी अनदेखी का आलम।

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