स्कूलों में शिक्षकों का टोंटा, शिक्षकों को सालों से फिजूल के काम में लगाया

0 संलग्नीकरण के नाम पर जिला मुख्यालय में तैनाती 
(अर्जुन झा) बकावंड। एक ओर तो विकासखंड बकावंड की शालाएं शिक्षकों की कमी से जूझ रही हैं, वहीं कई शालाओं के शिक्षकों को अनाप शनाप कार्यों में सालों से लगा दिया गया है। अटैचमेंट के नाम पर विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
संलग्नीकरण के नाम पर आदिवासी विकासखंडों के शिक्षको को शहर में रखकर मामूली कार्य लिया जा रहा है ये वर्षो से तनखाह तो अपने मूल स्कूल से लेते आ रहे हैं और ड्यूटी अधिकारी की मर्जी से कर रहे हैं। शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने सरकार प्रयास करती है, लेकिन विभागीय मनमानी और लचर व्यवस्था का का फायदा उठाकर कई शिक्षक अपनी मनचाही जगह पर पोस्टिंग पा रहे हैं।ऐसे मुफ्तखोर शिक्षकों को गांवों के बच्चों की जिंदगी संवारने की चिंता नहीं है। अटैचमेंट के नाम पर अधिकारी भेंट पूजा लेकर ऐसे शिक्षकों को जिला मुख्यालय में ऎसी जगह पर संलग्न कर रखे हैं, जहां उनकी योग्यता की कोई उपयोगिता ही नहीं है। जैसे विषय विशेषज्ञ व्याख्याता को ग्रंथपाल बना दिया गया है, व्यायाम प्रशिक्षक को स्टेडियम में तैनात कर दिया गया है, विद्यार्थियों का भविष्य जाए भाड़ में। बकावंड विकासखंड के स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय करीतगांव के व्याख्याता सुशील कुमार साहू को जिला ग्रंथालय जगदलपुर में अटैच किया गया है। सुशील कुमार साहू को ग्रंथालय में ड्यूटी बजाते 1 साल 2 माह हो चुके हैं। वहीं इसी स्कूल के व्यायाम शिक्षक श्रवण कुमार साहू को जिला ओलंपिक संघ बस्तर का सचिव बनाकर इंदिरा स्टेडियम जगदीश में साढ़े छह साल से अटैच कर रखा गया है। इन दोनों का अटैचमेंट तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने किया था। सोचने वाली बात है कि विषय विशेषज्ञ व्यख्याता का लाइब्रेरी में भला क्या काम? वहीं व्यायाम प्रशिक्षक को साढ़े छह साल से स्टेडियम अटैच रखना भी हास्यास्पद ही नहीं चिंतनीय भी है। स्कूल के प्राचार्य ने मौजूदा जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजकर व्यायाम प्रशिक्षक श्रवण कुमार साहू और व्याख्याता सुशील कुमार साहू का संलग्ननीकरण रद्द कर उनकी नियुक्ति मूल शाला में करने का आग्रह किया है। वैसे संलग्ननीकरण के यही दो मामले नहीं हैं, बल्कि जिले की कई शालाओं के शिक्षक शिक्षिकाओं ने जिला मुख्यालय में अपने को एडजस्ट करवा लिया है।

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