नारायणपुर और बालोद जिलों के ट्रांसपोर्टरों के बीच ‘ट्रक -युद्ध`, रोके एक दूसरे के कई ट्रक

0 नारायणपुर में रोके गए दल्ली राजहरा के 20 ट्रक 
0 दल्ली राजहरा में भी रोके गए नारायणपुर के ट्रक
(अर्जुन झा) जगदलपुर। बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले और दुर्ग संभाग के बालोद जिले के ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के बीच ‘ट्रक युद्ध` छिड़ गया है। दोनों जिलों के ट्रांसपोर्टर अपने अपने जिले में प्रतिद्वंदी जिले के ट्रकों को बैन करने पर आमादा हो गए हैं। दरअसल व्यवसायिक हित लाभ की वजह से ऐसा किया जा रहा है। इस द्वंद की शुरुआत नारायणपुर जिले के ट्रांसपोर्टरों की ओर से हुई है और अब बालोद जिले के ट्रांसपोर्टर्स ने भी दल्ली राजहरा में नारायणपुर के ट्रकों को रोक लिया है। आगे चलकर हालात बिगड़ने का अंदेशा है। इससे बचने के लिए दोनों जिलों के प्रशासन को फौरी कदम उठाने होंगे।
नारायणपुर जिले के ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने बालोद जिले के दल्ली राजहरा, चिखलाकसा, कुसुमकसा आदि के डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा 16 पहिया ट्रकों को रोक लिया है। पिछले तीन दिनों से दल्ली राजहरा अंचल के ये सारे ट्रक नारायणपुर जिले में खड़े हैं। जानकारी के मुताबिक दल्ली राजहरा के ये सभी ट्रक नारायणपुर के छोटे डोंगर में कच्चा माल भरने गए थे। बताते हैं कि दल्ली राजहरा के 20 से अधिक 16 पहिया ट्रकों को नारायणपुर में वहां के ट्रांसपोर्टरों ने रोक रखा है। जिसके बाद आज शुक्रवार को दल्लीराजहरा के ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने भी बदला लेते हुए नारायणपुर के कई 16 पहिया ट्रकों को दल्ली राजहरा के मानपुर मोहला चौक पर रोक लिया है। वहीं दल्लीराजहरा के ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने उनके ड्राइवरों को बंधक बनाने और फिर बाद में मारपीट कर ड्राइवरों को भगा देने का आरोप लगाया है। दल्ली राजहरा में नारायणपुर के 16 पहिया ट्रक मालिकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई।

दल्ली के ट्रक मालिक बेहाल
दरअसल बीते कुछ सालों से दल्ली राजहरा के ट्रक मालिक बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। एक जमाना था, जब दल्ली राजहरा में ट्रक ट्रांसपोर्ट व्यवसाय काफी समृद्ध था। वहां ट्रकों की संख्या हजारों में हुआ करती थी। ट्रक मालिकों के साथ ही हजारों ड्राइवर, क्लीनर्स और मजदूरों को भरपूर काम मिल रहा था। ट्रक रिपेयरिंग गैरेज भी वहां बड़ी तादाद में थे, टायरों के पंचर बनाने वाले भी अच्छी कमाई कर लेते थे। महामाया, दल्ली राजहरा की लौह अयस्क माइंस बंद होने के बाद इन सभी ट्रक मालिकों, ड्राइवर, क्लीनर्स, मजदूरों, रिपेयरिंग गैरेज मालिकों व उनके मेकेनिक, हेल्परों और पंचर बनाने वालों के रोजी रोजगार का जरिया तबाह हो गया है। इसलिए वे नारायणपुर के छोटेडोंगर स्थित खदान में अपने ट्रक लगाने लगे हैं। अब इस पर भी संकट खड़ा हो गया है। अगर दोनों जिलों के ट्रक मालिक यूं ही लड़ते झगड़ते रहे तो नुकसान दोनों का ही होगा। वहीं दूसरी ओर आगे चलकर हालात और भी बिगड़ सकते हैं। इससे बचने के लिए दोनों जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को त्वरित हस्तक्षेप करना होगा।

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