0 पूरे दिन थमे रहे यात्री बसों और अन्य वाहनों के पहिये
(अर्जुन झा) जगदलपुर। आरक्षण में क्रीमी लेयर संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद का बस्तर जिले में व्यापक असर देखने को मिला। यात्री बसों व अन्य वाहनों के पहिये थमे रहे दुकानें बंद रहीं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। बस्तर संभाग में सर्व आदिवासी समाज के आव्हान पर भारत बंद का बस्तर में व्यापक प्रभाव दिखा। बंद को बस्तर चेंबर आफ कामर्स नें भी समर्थन दे रखा था। लिहाजा जगदलपुर के व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। अस्पताल, स्कूल कालेज व अन्य आवश्यक सेवाएं बंद से मुक्त रखी गई थीं। नगरनार स्टील प्लांट के मुख्य प्रवेश द्वार पर आदिवासी समाज के लोग प्रदर्शन करते रहे। गेट बंद कर दिया गया था। सभी अधिकारी, कर्मचारी प्लांट के पीछे के अस्थाई गेट नंबर दो से ड्यूटी पर पहुंचते रहे। शिफ्ट खत्म होने के बाद अधिकारी कर्मचारी पिछले दरवाजे से अपने अपने घरों की ओर लौटते रहे। वैसे बंद की वजह से स्टील प्लांट में उत्पादन पर रत्ती भर भी असर नहीं पड़ा। जगदलपुर शहर, बकावंड, नगरनार में व्यापारिक गतिविधियां लगभग ठप रहीं। जगदलपुर से अन्य स्थानों की ओर जाने वाली यात्री बसों के पहिये थमे रहे। ज्यादातर बसें यहां के बस स्टैंड पर ही खड़ी रहीं। सड़कों पर दीगर वाहन भी बहुत ही कम नजर आए। बकावंड और जगदलपुर में अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोग हाथों में झंडे बैनर लेकर सड़कों पर नारे लगाते हुए घूमते रहे। बकावंड में लोग और अधिकारी कर्मचारी संगठनों के सदस्य पदाधिकारी सुबह से बंद को लेकर सक्रिय हो गए थे। इस कस्बे में भी बंद का व्यापक प्रभाव रहा। जगदलपुर में हजारों आदिवासियों ने रैली निकाली। बंद को सफल बनाने के लिए बुधवार सुबह से ही अजा अजजा और ओबीसी वर्ग संगठन एवं समाज के लोग सड़कों पर निकल पड़े थे और दुकानों को बंद कराते रहे। इसके अलावा वाहनों को भी रोका जाता रहा। विशाल आक्रोश रैली निकाली गई। जगदलपुर से 15 किलोमीटर दूर ग्राम केशलूर चौक दो नेशनल हाईवे राष्ट्रीय राजमार्ग 30 और 63 का संगम स्थल है। नेशनल हाइवे 30 ओड़िशा, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना को जोड़ता है, वहीं नेशनल हाइवे 63 महाराष्ट्र को जोड़ता है। केशलूर चौक पर बड़ी संख्या में बस्तर के मूल निवासी सुबह से मौजूद थे। कुछ देर तक जाम की स्थित बनी रही।इसके बाद चारपहिया निजी वाहन और मोटरसाकिलों के अलावा स्वास्थ्य से जुड़े वाहनों को छोड़ा गया। वहीं सड़क के दोनों ओर बसों और ट्रकों की लंबी कतार लग गई। बस्तर बंद को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल भी नगर में जगह जगह तैनात किया गया था। आदिवासी समाज के युवाओं के मुताबिक वे अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं, इसलिए बस्तर बंद किए हैं। सुप्रीम कोर्ट से आदेश को वापस लेने की मांग भी युवाओं ने की। बस्तर बंद के दौरान यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। दुकाने बंद रहने से घरेलू सामान और रोजमर्रा की चीजें नहीं मिलने से लोग परेशान होते रहे। रैली जगदलपुर के पीजी कालेज से निकाल कर मुख्य मार्ग से होती हुई कलेक्टर परिसर पहुंची, जहां कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम से ज्ञापन सौंपा गया। रैली का समापन लालबाग आईजी ऑफिस के सामने अंबेडकर की मूर्ति के पास हुआ।
आदिवासियों ने दिखाई ताकत
आरक्षण संशोधन के विरोध में अनुसूचित जाति जनजाति समाज द्वारा आहूत भारत बंद का दंतेवाड़ा जिले में व्यापक असर दिखा। सुबह से ही निजी दुकान व व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। छोटे ठेले, गुमटी से लेकर होटल तक नहीं खुले। जमीन पर पसरा लगाकर सब्जी बेचने वाले ग्रामीण तक दिखाई नहीं पड़े। दफ्तरों में भी सन्नाटा पसरा रहा। एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल होने छुट्टी ले चुके थे। जिला मुख्यालय के मेंडका डोबरा मैदान पर इकट्ठा होकर सभा करने के बाद विशाल रैली निकाली गई, जो नगर भ्रमण के बाद कलेक्टरेट पहुंची। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने दंतेवाड़ा, कटेकल्याण, कुआकोंडा व गीदम ब्लॉक से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे, ताकि रैली शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हो सके।
कलेक्ट्रेट की तगड़ी सुरक्षा
बलौदाबाजार अग्नि कांड से सबक लेते हुए पुलिस व प्रशासन ने काफी एहतियात बरती। कलेक्टरेट परिसर की तगड़ी नाकेबंदी की गई थी और अतिरिक्त बल तैनात किया गया था। ज्ञापन लेने के लिए गेट के बाहर ही अधिकारी मौजूद रहे। ज्यादातर स्कूल बंद रहे। बच्चों की आवाजाही में संभावित दिक्कत और किसी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई थी। वहीं दूसरी तरफ यात्री बस सेवाओं का संचालन भी बाधित रहा। सुबह राजधानी की तरफ से कुछ बसें जरूर पहुंचीं। इसके बाद दिन में बस संचालन बंद रहा। लोकल बस ऑपरेटर्स ने अपनी बसें स्टैंड में ही खड़ी कर रखी थीं।