उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने लाल बाग मैदान जगदलपुर में किया ध्वजारोहण

0 उपमुख्यमंत्री ने बस्तरिया वेशभूषा टेकरा तुवाल (धुरवा पागा) पहनकर किया ध्वजारोहण

0 बस्तरिया वेशभूषा पहनकर ध्वजारोहण करना बस्तर की संस्कृति के प्रति उनके सम्मान और जुड़ाव को दर्शाता है

रायपुर। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने लाल बाग मैदान जगदलपुर में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण किया। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बस्तरिया वेशभूषा टेकरा तुवाल(धुरवा पागा) पहनकर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण किया। बस्तरिया वेशभूषा पहनकर ध्वजारोहण करना न केवल बस्तर की संस्कृति के प्रति उनके सम्मान और जुड़ाव को दर्शाता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि हमें अपनी स्थानीय परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को संजो कर रखना चाहिए।

बस्तरिया वेशभूषा छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की अनूठी और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस वेशभूषा का महत्व सिर्फ पहनावे तक सीमित नहीं है बल्कि यह बस्तर की परंपराओं, रीति-रिवाजों, और सांस्कृतिक पहचान को भी दर्शाता है।

बस्तरिया वेशभूषा में पहने जाने वाले वस्त्र और आभूषण स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए जाते हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं का हिस्सा हैं। इस वेशभूसा में बस्तर की लोक कलाओं और हस्तशिल्प की झलक मिलती है जो क्षेत्र के सांस्कृतिक धरोहर की समृद्धि को दर्शाता है।बस्तरिया वेशभूषा पहनने से एक व्यक्ति को बस्तर की संस्कृति से जुड़ाव महसूस होता है। यह पहनावा बस्तर के लोगों की सामूहिक पहचान को मजबूत करता है और उनके जीवन में पारंपरिक मूल्यों का स्थान बताता है। पागा जो इस वेशभूषा का प्रमुख हिस्सा है सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। बस्तरिया वेशभूषा को अपनाने और प्रदर्शित करने से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलता है। यह अन्य क्षेत्रों के लोगों को बस्तर की संस्कृति से परिचित कराता है और सांस्कृतिक विविधता की समझ को गहरा करता है। बस्तरिया वेशभूषा का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें प्रयुक्त होने वाली सामग्री अधिकांशतः प्राकृतिक और स्थानीय रूप से उपलब्ध होती है, जो पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और स्थायित्व के सिद्धांतों का समर्थन करती है।

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