सांप्रदायिक उन्माद भड़काकर देश के विभाजन के गुनहगारों के राजनीतिक वंशज आज विभीषिका दिवस मना रहे – सुरेंद्र वर्मा

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के द्वारा आजादी की पूर्व संध्या पर विभाजन विभीषिका दिवस मनाये जाने पर तंज कसते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यह ऐतिहासिक सत्य है कि भारतीय जनता पार्टी के पितृ संगठनों ने अंग्रेजों के “फूट डालो राज करो“ के एजेंडे पर काम करते हुए आज़ादी की लड़ाई के दौरान मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सांप्रदायिक उन्माद भड़काये, दूरियां पैदा करने का काम किया। जब पुरा देश तिरंगा थामकर कांग्रेस के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब आरएसएस और उनके आनुसंगिक संगठन, अंग्रेजों के इशारे पर भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध कर रहे थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज के खिलाफ़ देश के युवाओं से अंग्रेजी सेना में भर्ती होने की अपील तत्कालीन महासभा के नेताओं ने की। 1923 में सावरकर ने अपनी ‘‘हिंदुत्व’’ नामक किताब में बड़ी स्पष्टता से धार्मिक आधार पर दो राष्ट्रों की बात कही और 1937 के अहमदाबाद अधिवेशन में खुले तौर पर यह कहा कि भारत में एक नहीं दो राष्ट्र बसते हैं। सावरकर ने कहा कि “आज यह कतई नहीं माना जा सकता कि हिंदुस्तान एक एकता में पिरोया हुआ और मिला-जुला राष्ट्र है। बल्कि इसके विपरीत हिंदुस्तान में मुख्य तौर पर दो राष्ट्र हैं- हिंदू और मुसलमान“ और सांप्रदायिक आधार पर बांटने के कुत्सित प्रयास की शुरुआत वहीं से हुई। इसके बाद जिन्ना के द्वारा 1939 में द्वि-राष्ट्र के सिद्धांत के आधार पर पाकिस्तान की मांग आरंभ की, जिस पर आगे चल कर मुस्लिम लीग ने 1940 में प्रस्ताव पारित किया, अर्थात जिन्ना से लगभग 2 साल पहले ही सावरकर ने इस आशय के विचार व्यक्त किए थे। असलियत यही है कि मुस्लिम लीग, आरएसएस और उनके आनुसंगिक संगठन अंग्रेजों के इशारे पर ही नफरत भड़काने का काम करते रहे।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि आजादी के वक्त विभाजन से भड़के दंगो को शांत कराने गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने देश भर में दंगा रोकने का काम किया, उस दौरान आरएसएस की क्या भूमिका थी? गांधी की जी की हत्या जिस विचारधारा ने की, जिन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का दमन करने के लिए अंग्रेजों का साथ दिया, जिनके पूर्वजों ने अंग्रेजों के इशारे पर मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल और सिंध प्रांत में अंतरिम सरकारें बनाई, बंगाल की मिलीजुली सरकार फजलुल हक के प्रधानमंत्रित्व और महासभा के मान्य नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में बनाई, अब अपने राजनीतिक पूर्वजों के पाप पर पर परदेदारी करने इवेंट आयोजित कर विभाजन विभीषिका दिवस मना रहे हैं भाजपाई।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा तो मुखौटा है उनके पित्र संगठन आरएसएस का चरित्र आज़ादी के दौरान भी षड्यंत्रकारी रहा है। यह ऐतिहासिक सत्य है कि भारत के विभाजन के लिए भाजपाइयों के पूर्वज आरएसएस और उसके अनुसांगिक संगठन ही जिम्मेदार हैं। जस्टिस जीवनलाल कपूर के अध्यक्षता में गांधी जी की हत्या की जांच के लिए गठित न्यायिक कमेटी के फाइनल रिपोर्ट के फायनल कमेंट में स्पष्ट है कि गांधी जी की हत्या इसी विचारधारा ने की है और आज भी सत्ता पाने और उसे बचाए रखने के लिए नफरत, उन्माद और हिंसा ही भाजपा का राजनीतिक टूल्स है। मणिपुर जल रहा है, गलवान में 21- 21 जवान शहीद हो गए, अरुणाचल प्रदेश में चीन सीना ताने खड़ा है, पुलवामा का सच आज तक बाहर नहीं आया लेकिन इस पर भाजपाई मौन हैं। असलियत यही है कि भाजपा का राष्ट्रवाद भी फर्जी है, आयातीय है, हिटलर और मुसलमानी से प्रभावित है। सत्ता में आने और उसे बरकरार रखने के लिए नफ़रत, हिंसा और उन्माद पैदा कर संप्रदाय ध्रुवीकरण का षड़यंत्र रचना ही भाजपा का असल राजनैतिक चरित्र है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *