भरे सावन में पीने के पानी के लिए मोहताज हो गए हैं बकावंड के अमड़ीगुड़ा पारा के ग्रामीण

० हैंडपंपों से निकल रहा लाल पानी, सोलर पंप हो गया है बेहाल 
०  नाला और तालाब का पानी इस्तेमाल कर रहे हैं ग्रामीण
(अर्जुन झा)
बकावंड। दीया तले अंधेरा वाली कहावत शायद बकावंड के लिए ही बनी है। ब्लॉक मुख्यालय बकावंड में पेयजल उपलब्ध कराने वाले लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी, जनपद सीईओ और तमाम अन्य अधिकारियों के रहते हुए भी यहां व्यवस्था नाम की चीज नहीं है। सभी अधिकारी अपने कर्तव्य से मुंह फेरे बैठे हैं। भरे सावन में इस ब्लॉक मुख्यालय के अमड़ीगुड़ा पारा के पचासों परिवारों को पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है। बस्ती के दोनों हैंडपंप लाल पानी उगल रहे हैं और सोलर पंप भी बेहाल है। मजबूरन लोगों को नाला, तालाब और कुएं का दूषित पानी इस्तेमाल करना पड़ रहा है। अनुविभाग और विकासखंड मुख्यालय होने तथा यहां बड़े बड़े अधिकारियों के कार्यालय होने के बावजूद बकावंड के लोगों को तरह तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। यह ग्रामीणों की बदकिस्मती तो है ही, अधिकारियों की लापरवाही का बड़ा नमूना भी है। कल ही हमने गंदगी के ढेर पर बैठे बकावंड की तस्वीर प्रशासन के सामने रखी थी। अब एक और नई त्रासदी की खबर सामने आई है। यह त्रासदी है बकावंड ग्राम पंचायत के अधीन अमड़ीगुड़ा पारा की, जहां के लोगों को भरे सावन के महीने में पीने के पानी के लिए दर दर भटकना पड़ रहा। सर्वाधिक परेशान हमारी माता बहनें हो रही हैं। उन्हें कुआं, तालाब और नाले से पानी लाना पड़ रहा है। अमड़ीगुड़ा पारा में पिछले कई दिनों से पीने के पानी की समस्या बनी हुई है, जिसके चलते ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत बकावंड के अमड़ीगुड़ा पारा मैं दो हैंडपंप एक सोलर पंप हैं, लेकिन ये किसी काम के नहीं रह गए हैं। सही देखरेख नहीं होने के कारण दोनों हैंडपंप खराब हो गए हैं और लाल पानी उगल रहे हैं। यह पानी पीने की बात तो दूर आचमन करने लायक भी नहीं है। वहीं सोलर पंप से पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है। बमुश्किल आधा घंटा चलने के बाद सोलर पंप का दम फूल जाता है और वह बंद हो जाता है। अमड़ीगुड़ा पारा की महिलाएं तालाब एवं नाला से पानी लाने के लिए मजबूर हैं। अमड़ीगुड़ा पारा की इला कश्यप, अंबिका कश्यप, नर्सिला भारती, पार्वती निषाद, गोरीमणि निषाद, भगवती बघेल, रूपशिला बघेल, राधा देवांगन, पूरन मारकंडे, फूलमती यादव, भारती यादव, चंद्रावती नाग, सोमवारी कश्यप व अन्य महिलाएं इसे लेकर बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि पंचायत सचिव को जानकारी देने के बाद भी हैंडपंपों और सोलर पंप को ठीक नहीं कराया जाता है।बस्ती तक तक नल जल योजना पहुंची जरूर है, लेकिन काम अधूरा छोड़ दिया गया है। पानी की टंकी का काम भी अभी तक अधूरा पड़ा है। जिसके कारण पानी की परेशानी हर घर में है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां के जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति के लिए है ग्रामीण मरते हैं, तो मरने दो, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

बढ़ा डायरिया का खतरा
बरसात का मौसम जन स्वास्थ्य के लिहाज से बड़ा ही संवेदनशील होता है। इस मौसम में डायरिया जैसी जल जनित बीमारी की शिकायत काफी बढ़ जाती है। नाला, तालाब का पानी पीने से अमड़ीगुड़ा पारा में भी डायरिया का खतरा बढ़ गया है। अधिकारी शायद इसी का ही इंतजार कर रहे हैं। तभी तो जनपद सीईओ और पंचायत सचिव एक दूसरे पर बात टाल रहे हैं। सीईओ कह रहे हैं कि मैं सचिव को बोल देता हूं और सचिव बात पंप मेकेनिक पर टालते दिख रहे हैं।

सचिव को कह देता हूं
अमड़ीगुड़ा पारा में पानी की समस्या की बात मेरे संज्ञान में आई है। मैं अभी पंचायत सचिव को बोल देता हूं, वह देख लेगा।
-एसएस मंडावी,
सीईओ जनपद पंचायत बकावंड

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