0 सचिव कहते हैं सफाई के लिए नहीं मिल रहे मजदूर
0 बस्ती में मक्खी मच्छरों का लगातार बढ़ रहा है आतंक
(अर्जुन झा) बकावंड। विकासखंड मुख्यालय बकावंड कूड़ा घर बन गया है। चारों ओर कूड़ा करकट के ढेर नजर आ रहे हैं। सालभर से ऐसे हालात बने हुए हैं। बदबू, मच्छर और मक्खीयों ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। कचरे का उठाव एक साल से नहीं हुआ है। जनपद सीईओ कहते हैं पंचायत सचिव मेरी बात नहीं सुन रहा है और सचिव दलील दे रहे हैं कि सफाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि एक जनपद सीईओ साधारण से पंचायत सचिव पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं। बात चाहे जो भी हो, मगर बदइंतजामी का खामियाजा तो ग्रामीणों को भोगना पड़ रहा है।
बिना साफ सफाई के स्थिति कैसी हो जाती है, अगर इसे महसूस करना है तोबकावंड में आपका स्वागत है। बकावंड में हर कदम पर गंदगी आपका स्वागत करेगी, फूल मालाओं से स्वागत और उसकी खुशबू की कल्पना बिल्कुल मत कीजिए, बदबू से नाक भौं सिकोड़ने की तैयारी के साथ आपको बकावंड आना होगा, वरना बहुत पछताएंगे यहां आकर। ग्रामीण बताते हैं कि ग्राम पंचायत गांव की साफ सफाई से पूरी तरह मुंह मोड़ चुकी है।ग्रामीण मरते हैं तो मरें अपनी बला से। ग्रामीणों का चैन से खाना पीना, उठना बैठना, सोना सब कुछ हराम हो गया है। दिनभर मक्खीयां परेशान करती हैं, तो सांझ ढलते ही मच्छर मोर्चा सम्हाल लेते हैं। मच्छर रातभर सोने नहीं देते। मलेरिया, डेंगू फैलने का बड़ा खतरा सबसे शिक्षित गांव बकावंड पर मंडरा रहा है। बकावंड आदिवासी बाहुल्य गांव है और यहां के पंचायत सचिव तथा जनपद सीईओ दोनों दिवासी समुदाय से हैं, लेकिन आदिवासी ही आदिवासियों की जान के दुश्मन बन गए हैं यहां। सफाई नही होने का कारण पूछने पर पंचायत सचिव ओंकार गागड़ा कहते हैं कि मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इसलिए ऐसी स्थिति बनी हुई है, अगर मजदूर मिल जाएं तो तुरंत सफाई करवा देंगे। वहीं जनपद पंचायत के सीईओ एसएस मंडावी कहते हैं कि सचिव को कई बार बोल चुका हूं लेकिन वह ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सालभर से सचिव को मजदूर नहीं मिल रहे हैं? दूसरा सवाल यह कि जनपद मुख्यालय भी बकावंड में ही है, सीईओ भी इसी गंदगी के बीच से रोज गुजरते होंगे और एक पंचायत सचिव भला अपने सबसे बड़े अफसर का आदेश आखिर क्यों नहीं मान रहा है? खैर इन दोनों के बीच का मसला चाहे कुछ भी हो, मगर गंदगी और सफाई नहीं होने से डेंगू और मलेरिया में मच्छर का दंश तो आम आदमी ही भोग रहा है। अगर समय रहते सफाई नहीं हुई तो पूरे पंचायत क्षेत्र में महामारी फैल जाएगी। इसका जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग नहीं ग्राम पंचायत ही होगी।