0 जिला और जनपद पंचायत के बीच बाबू ने बनाई खाई
(अर्जुन झा) बकावंड। बस्तर जिला पंचायत के एक चतुर सयाने बाबू ने पंचायत सचिवों के तबादले की आड़ में अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए जिला पंचायत और बकावंड जनपद पंचायत के बीच एक गहरी खाई बना दी है। जनपद पंचायत की सामान्य सभा द्वारा अनुशंसित पंचायत सचिवों की तबादला सूची को इस सयाने बाबू ने अपनी स्वार्थ पूर्ति का माध्यम बना लिया है। मनोवांछित ग्राम पंचायतों में पोस्टिंग के लिए स्थानांतरित पंचायत सचिवों से उगाही का खेल खेला जा रहा है। निर्वाचित जनपद सदस्यों की अवमानना खुलेआम इस सयाने बाबू द्वारा की जा रही है।
विकासखंड बकावंड के पंचायत सचिवों के तबादले को लेकर बड़ा ही अजीब खेल चल रहा है। इस खेल का असल खिलाड़ी जिला पंचायत का एक चतुर सयाना बाबू है। चुनाव के पूर्व बकावंड जनपद के दर्जनों पंचायत सचिवों का स्थानांतरण हुआ था। जिन्हें चुनावी आचार संहिता का हवाला देते हुए रिलीव नहीं किया गया था। लेकिन अब विधानसभा और लोकसभा चुनाव निपटे अरसा गुजर चुकने के बाद भी संबंधित पंचायत सचिवों को रिलीव नहीं किया गया है। बताते हैं कि इन सचिवों के तबादले में जनपद पंचायत के सीईओ की मर्जी नहीं चली थी, इस कारण जिला पंचायत सीईओ द्वारा आदेश जारी किए जाने के बाद भी यह तबादला अब तक रुका है। लेकिन पिछले माह 11 सचिवों की तबादला सूची को जनपद पंचायत की सामान्य सभा द्वारा अनुशंसित कर जिला पंचायत में अंतिम अनुमोदन हेतु भेजा गया है। आज तक उस सूची का भी अनुमोदन जिला पंचायत द्वारा नहीं किया गया है। इसके पीछे कारण बताए जा रहे हैं कि जिला पंचायत में पदस्थ एक चतुर बाबू के ही इशारे पर ऊपर वाले निर्णय लेते हैं। उक्त बाबू ने जनपद सीईओ द्वारा भेजी गई जनपद पंचायत सामान्य सभा से अनुशंसित सचिवों की तबादला सूची को सार्वजनिक कर एक बड़ा हथकंडा अपनाया है। खबर है कि स्थानांतरित ग्राम पंचायत सचिवों से उनकी मनचाही ग्राम पंचायत में पदस्थापना हेतु मोलभाव किया जा रहा है। ताकि जिला व जनपद सीईओ नहीं, बल्कि उक्त चतुर सयाने बाबू की मर्जी से सचिवों को वांछित ग्राम पंचायतों में नई पदस्थापना मिल सके। अब सीईओ और जिला पंचायत के चतुर सयाने बाबू के बीच में सभी सचिव अटके हुए हैं। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि इनमें से अधिकांश सचिव मोटी रकम खर्च करने के बाद भी उपरोक्त बाबू और जनपद सीईओ के बीच से अब तक उबर नहीं पा रहे हैं।