रोका-छेका बंद होने से गायें मर रहीं है, किसान परेशान हो रहे है – सुरेंद्र वर्मा

0 गौठान और रोका-छेका योजना भाजपा सरकार की बदनीयति की भेट चढ़ी

0 भाजपा की कुशासन में रोज बेमौत मारी जा रही है गाय, गौठान बंद, गौ अभ्यारण्य का अता-पता नहीं

रायपुर। बलौदा बाजार के निकट मरदा गांव में दम घुटने से 20 गौवंशीयों की मृत्यु पर कड़ी प्रतिक्रिया वक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा कहा है कि मरदा गांव में गायो की हत्या के लिये गांव वाले नहीं बल्कि भाजपा सरकार जिम्मेदार है। जब से छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, तब से रोका-छेका का बंद कर दिया गया है, गोठानो को भी दुर्भावना पूर्वक बंद कर दिया गया, किसान खुली चराई से परेशान हैं, राहगीर सड़कों पर बैठे मवेशियों के झुंड से दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं और गाएं भी सड़कों पर भारी वाहनों से रौंदे जानें से बेमौत मरने मजबूर हैं। बलौदा बाजार की घटना भाजपा सरकार के निकम्मेपन का परिणाम है। भारतीय जनता पार्टी की साय सरकार की ना कोई नीति है, ना नियत, दुर्भावना और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर गोठान योजना तो बंद कर दिए लेकिन विकल्प के तौर पर साय सरकार के गौ अभ्यारण का जुमला केवल कागजी है, धरातल पर अव्यवस्था सर्वविदित है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा की सरकार गौ हत्यारी सरकार है। गाय के नाम पर भारतीय जनता पार्टी के नेता केवल राजनीति करते हैं, काम नहीं करते बल्कि उल्टे बीफ कंपनियों से चंदा खाते हैं। जब से सई सरकार आई है छत्तीसगढ़ में गो तस्करी की घटना बढ़ गई है, सड़कों पर मवेशी मारे जा रहे हैं हाल ही में राजधानी के निकट किरना गांव में एक साथ 18 गाएं सड़क पर रौंद दी गई थी।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में गौठान और रोका छेका योजना भाजपा सरकार की बदनीयति की भेट चढ़ गयी है। गौशालयों से कमीशनखोरी के लालच में छत्तीसगढ़ की चाक चौबंद व्यवस्था “गोधन न्याय योजना“ को बंद कर दिया गया है। पिछले 8 महीनों से छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है, गौसेवा के लिए कोई कार्ययोजना तैयार नहीं कर पाए हैं। भाजपा सरकार का पूरा फोकस नकली खाद, नकली बीज, नकली कीटनाशक दवा, नकली नैनो यूरिया के बिचौलियों और अवैध कारोबारियों को संरक्षण देने में है। किसान खुली चराई से परेशान हैं, साय सरकार की दुर्भावना से चलते किसानी करना कठिन हो गया है।

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