दल बदल के साथ बदल गया मेयर का नजरिया भी, पूर्व विधायक जैन की दी हुई सौगातों की घोर उपेक्षा

0 लाखों के ओपन जिम की दुर्दशा, पार्क भी बदहाल 
0 बच्चों का टॉय ट्रेन भी हुई खस्ताहाल, टॉयलेट बेहाल 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। पूर्व विधायक रेखचंद जैन आजकल स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करते नजर आ रहे हैं। राजनीतिक उठापटक के बीच भी समय निकाल कर वे शहर में अपने मित्रों और नागरिकों से मिलने निकल पड़ते हैं। पिछले दो दिन से वे स्थानीय शहीद पार्क में खुद अपने कार्यकाल में बनवाए जिम को देखने और लोगों की जागरूकता को परखने पहुंच रहे हैं। मगर दल बदल करने वाली महापौर का नज़रिया भी बदल गया है। अपने परम हित चिंतक रहे पूर्व विधायक रेखचंद जैन की दी हुई सौगातों को भी महापौर अब पूरी तरह उपेक्षित छोड़ दिया है। सोलह लाख रुपयों की लागत से निर्मित ओपन जिम महापौर सफीरा साहू की मतलब परस्ती की दास्तां बयान कर रहा है।
आज वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र मिश्रा व उनके साथी भी पूर्व संसदीय सचिव रेखचंद जैन के इस स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभियान में सहभागी बने। हल्की बरसात के बावजूद सुबह 8 बजे के करीब 50 महिला, पुरुष, बच्चे और युवक शहीद पार्क में बने जिम में वर्जिश कर खुद को तरोताजा रखने में मशगूल नजर आए। पार्क और ओपन जिम की दुर्दशा देखकर पत्रकार वीरेंद्र मिश्रा व उनकी मित्र मंडली के लोग तथा जिम में वर्जिश करने आए नागरिक चिंतित एवं अचंभित हो उठे। 16.04 लाख रूपए की लागत से शहीद पार्क में बनवाए गए आधुनिक संसाधनों से लैस इस जिम में जो उपकरण लगाए गए थे, वे सब अब खस्ताहाल में हैं। मामूली मेंटेनेंस को तरस रहे जिम के महंगे उपकरण खराब होकर लटक रहे हैं। हालत तो यह भी हो चली है कि पार्क में उग आई घास की कटाई भी रोक दी गई है पार्क में बने पुरुष और महिला शौचालयों की हालत बदतर हो चली है। पार्क में ही बच्चों को तफरीह कराने वाली टॉय ट्रेन मेंटेनेंस के आभाव में कबाड़ बन गई है।

मेयर से नाराज दिखे लोग

पूर्व विधायक रेखचंद जैन का कहना है कि 2 साल पूर्व ही इस जिम को लोकहित में बनाया गया था। अब इसकी हालत देखकर दुख होता है पार्क में श्री जैन के प्रवेश करते ही वहां मौजूद दर्जनों महिलाओं और पुरुषों ने उनके सामने शिकायत की शिकायतों की झड़ी लगा दी।सभी का यही कहना था कि निगम की सत्ता में महापौर के दल बदल के बाद से ही पार्क की दुर्दशा शुरू हुई है। लोगों ने श्री जैन से कहा कि विधायक और संसदीय सचिव रहते आपने नगर के विकास, सड़कों, नालियों, पार्क आदि के निर्माण के लिए अपनी राज्य सरकार से करोड़ों रुपए दिलवाए थे। तब यही महापौर आपका गुणगान करते नहीं थकती थी। हमें भी अपने शहर को आधुनिक सुविधाएं मिलने व शहर का विकास होते देख सुखद अनुभूति के साथ गर्व होता था। आज वही महापौर आपकी दी हुई सौगातों को नष्ट करने पर तुल गई हैं। महापौर का यह रवैया हमें कतई अच्छा नहीं लग रहा है। पार्क में मौजूद नागरिकों ने पूर्व विधायक रेखचंद से आग्रह किया कि आप स्वयं कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त से मिलकर लाखों की सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिए पहल करें। हमें महापौर से अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है।

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