एक अदद सड़क के लिए तरस रहे हैं ग्राम पंचायत बजावंड के मोहल्लों के ग्रामीण, कीचड़ में रहना मजबूरी

०  विभिन्न मदों की राशि की हो रही है जमकर बंदरबांट 
०  गंदगी, कीचड़ के बीच रहने के लिए मजबूर हैं ग्रामीण

(अर्जुन झा) बकावंड। बस्तर जिले के सबसे शिक्षित ब्लॉक बकावंड की ग्राम पंचायत बजावंड के अधिकतर पारा मोहल्ले सड़क के मोहताज हैं।बस्तियों में जगह जगह जल जमाव और कीचड़ भरा हुआ है। ग्रामीणों को आने जाने में दिक्कत हो रही है। शासन से ग्राम पंचायत को मिलने वाली राशि की बंदरबांट चल रही है और सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण परेशानियों से जूझ रहे हैं। ग्राम पंचायत भ्रष्टाचार की गंदगी से बजबजा रही है।यहां सरकारी धन सरपंच की तिजोरी में समा रहा है और ग्रामीण सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। पूरी पंचायत में चारों ओर गंदगी फैली हुई है, नालियां बजबजा रही है, जहां देखो वहां कीचड़ का साम्राज्य है।
बकावंड ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत बजावंड में कई ऐसे पारा हैं जो सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। पंचायत के अजीब गजीब पारा में कई वर्ष गुजर जाने के बावजूद भी आज तक पुलिया नहीं बन पाया है, सड़क तक नहीं है और ग्रामीणों के लगातार चलने से जो पगडंडी जैसी सड़क बन गई है, उसका मुरमीकरण भी नहीं करवाया जा रहा है। सड़क पर पानी भर गया है और कीचड़ हो गया है। इस वजह से ग्रामीणों को चलने में बहुत तकलीफ हो रही है। सोनार पारा में कई वर्ष से पुलिया और सड़क निर्माण के लिए विधायक से भी ग्रामीण गुहार लगाते आए हैं। ग्राम पंचायत में भी फरियाद कर चुके हैं। बावजूद आज तक शासन प्रशासन की योजनाओं का लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल पाया है। सरपंच से चर्चा करने पर वे कहते हैं कि अभी तो बारिश हो रही है। बारिश रुकेगी तो मुरुम डाल देंगे। बकावंड ब्लॉक की 96 पंचायतों में से एक बजावंड ऐसी ग्राम पंचायत है जो ओड़िशा की सीमा से बिल्कुल लगी हुई है। इस कारण यह पंचायत बहुत ही संवेदनशील और हाई रिस्क वाली पंचायतों में गिनी जाती है। बताते हैं कि ओड़िशा से सटी हुई पंचायत होने कारण गांजा, शराब और लकड़ी तस्करी बजावंड के रास्ते से ही होती है। बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर के अंतिम छोर पर स्थित होने के कारण बड़े अफसरों के कदम बजावंड ग्राम पंचायत में नहीं पड़ पाते। वहीं जनपद पंचायत बकावंड के अधिकारी भी सरपंच की करतूतों की ओर से आंखें फेरे बैठे हैं। लिहाजा सरपंच लगातार मनमानी किए जा रहे हैं। पंचायत में कोई भी काम नहीं हो रहा है और 15वें वित्त समेत तमाम शासकीय मदों से मिलने वाले लाखों रुपयों की यहां खुलकर लूट मची हुई है। वहीं ग्रामीणों की आदत सी हो गई है कीचड़ में रहने की। यहां हर जगह गंदगी और कीचड़ का जमावड़ा बना हुआ है। सांप, बिच्छू, मच्छर और अन्य जहरीले जीव लोगों को हलाकान किए हैं। ग्रामीण डेंगू, मलेरिया व दीगर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यहां फर्जी बिल लगाकर सरपंच द्वारा धड़ल्ले से भ्रष्टाचार किया जा रहा है। 15वें वित्त की हम बात करें तो आंगनबाड़ी केंद्र व अन्य भवन में रैन वाटर हार्वेस्टिंग के नाम से फर्जी कार्य दर्शा कर राशि की जमकर बंदरबांट हुई है। 15वें वित्त की राशि को ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा अपनी निजी दौलत समझकर इस कदर दुरुपयोग किया गया है कि इसकी कोई हद नहींहै। यहां पंचायत के अधीन भवनों, सड़कों आदि की मरम्मत के नाम पर मोटी रकम निकाल ली गई है। फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपये डकार लिए गए हैं। दूसरी ओर यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। यहां शासन के नियम कानून जाएं भाड़ में भ्रष्टाचार करें 15वें वित्त की आड़ में वाला खेल धड़ल्ले से चल रहा है।

ग्रामीणों में छाई नाराजगी

पंचायत द्वारा सुविधाएं उपलब्ध न कराए जाने से ग्रामीणों में भारी नाराजगी है।विधानसभा चुनाव से पहले बजावंड के पनका पारा के ग्रामीणों ने समस्याओं को लेकर मतदान बहिष्कार का ऐलान कर दिया था। कीचड़, साफ सफाई, स्वच्छ भारत मिशन के कार्य, आंगनबाड़ी केंद्र में बिजली के स्विच बोर्ड लटकते रहने, आंगनबाड़ी केंद्र के सामने सेप्टिक टैंक के लिए गड्डे खोद कर खुला छोड़देने, सीसी सड़क, पुलिया, आवास, मोहल्ले की गालियों में मुरम डलवाने आदि मुद्दों को लेकर ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का फैसला किया था। तब कहीं जाकर सरपंच ने पनका पारा के मोहल्ले में कुछ जगह मुरुम डलवा कर लीपापोती की थी। मुरुम डलवाने में भ्रष्टाचार किया गया था। आज भी पूरी बस्ती नरक से कम नही है। इस सारी समस्याओं को लेकर पनका पारा के दर्जनों ग्रामीणों और महिलाओं ने सरपंच पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस पूरे मामले की जानकारी जनपद पंचायत के सीईओ एसएस मंडावी को भी दी जा चुकी है, मगर दुर्भाग्य की बात है कि समस्याएं आज भी जस की तस हैं। बरसात के दिनों में बच्चों को गोद में लेकर आंगनबाड़ी तक छोड़ना पड़ रहा है।

सीईओ का भी नहीं ध्यान

बकावंड जनपद के सीईओ इन समस्याओं का समाधान करना चाहते तो काफी पहले कर सकते थे। किंतु उनकी बेपरवाही के कारण बजावंड पंचायत में भ्रष्टाचार चरम सीमा तक पहुंच चुका है। बकावंड जनपद पंचायत में एक काम जरूर हुआ है पंचायत सचिवों को दूसरी जगह भेजकर दूसरे लाने का। मगर मुख्य कार्यपालन अधिकारी बकावंड को यह नही मालूम कि समस्याओं का समाधन सचिवों का फेरबदल करने से नही होगा। मूलभूत सुविधाओं, 15वें वित्त योजना, मरम्मत कार्य के नाम पर फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपये डकारना और ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसाना बजावंड ग्राम पंचायत की परंपरा बन गई है। रनिंग वाटर केकार्य, समुदायिकक शौचालय, स्वच्छ भारत मिशन के कार्य की भी यहां धज्जियां उड़ाई गई हैं। इतने बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की ओर सीईओ का ध्यान कैसे नहीं जा रहा है, यह भी आश्चर्य का विषय है।
वर्सन
होगी कार्रवाई
बकावंड ब्लॉक के सभी पंचायत सचिवों की 25 जुलाई को बैठक ले रहा हूं। बैठक में बजावंड ग्राम पंचायत से संबंधित समस्याओं पर सचिव से जवाब तलब करूंगा। अगर कोई दोषी है तो उस पर अवश्य कार्रवाई होगी।
-गगन शर्मा,
एसडीएम, बकावंड

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