0 विक्रम मंडावी ने घेरा सरकार को, गृहमंत्री विजय शर्मा ने दिया करारा जवाब
0 बीजापुर में हुई मुठभेड़ पर विधानसभा में बवाल
(अर्जुन झा)जगदलपुर। लोकसभा हो या विधानसभा, इन दिनों बस्तर ही छाया हुआ है। दो दिन पहले लोकसभा में बस्तर के सांसद महेश कश्यप ने बस्तर संभाग में रेलवे कनेक्टीविटी को लेकर दमदारी से आवाज उठाई थी और वहीं बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने पीड़िया मुठभेड़ पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में सरकार को जमकर घेरा। विधानसभा में भरमार बंदूकों को लेकर राजनीति की भरमार नजर आई। दो दिन पहले लोकसभा के सत्र के दौरान बस्तर के सांसद महेश कश्यप ने सरकार के समक्ष बस्तर संभाग में रेलवे कनेक्टीविटी बढ़ाने की मांग रखी थी। श्री कश्यप ने दल्ली राजहरा रावघाट रेल लाइन को जगदलपुर तक जल्द विस्तारित करने, रायपुर धमतरी रेल लाइन से केशकाल कोंडागांव होते हुए जगदलपुर को जोड़ने और बैलाडीला से गीदम बीजापुर होते महाराष्ट्र तक रेल लाइन निर्माण की मांग रखी थी। महेश कश्यप की यह पहली पारी ही हिट रही। केंद्र सरकार के बजट में दल्ली राजहरा जगदलपुर रेल लाइन को मंजूरी दे दी गई है। यह बड़ी उपलब्धि है। ये तो हुई लोकसभा की बात। आइए अब रुख करते हैं छत्तीसगढ़ विधानसभा की ओर। विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान बीजापुर जिले के पीड़िया में हुई मुठभेड़ के मसले पर बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने सरकार को निशाने पर लिया। गृह विभाग से संबंधित एक प्रश्न नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने उठाया। जिस पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने जवाब दिया।इसी बीच बीजापुर जिले में इसी माह पीड़िया में हुई मुठभेड़ पर जमकर हंगामा हो गया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के सवालों के माध्यम से माओवादियों के पास से भरमार बंदूकें मिलने पर सवालिया निशान खड़ा किए गए और भरमार बंदूकों की जांच की मांग की गई। गृहमंत्री विजय शर्मा ने किसी भी जांच से इंकार किया तो पूरक प्रश्न में बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी ने पीडिया मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए कहा कि मारे गए 17 माओवादियों में से 16 के पास से भरमार बंदूकों का मिलना एक तरह से साबित करता है कि यह मुठभेड़ पूरी तरह फर्जी थी। पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने भी विक्रम मंडावी का साथ देते हुए जब अपनी बातें रखी तो सदन में हंगामा मच गया और सत्ता पक्ष की ओर से विपक्ष पर माफी मांगने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया गया।प्रश्नकाल के बचे अंतिम 6 मिनट के समय में नेता प्रतिपक्ष ने माओवादी मुठभेड़, माओवादियों से जप्त सामग्री, माओवादियों से बातचीत व अन्य मुद्दों को उठाया जिसमें अत्यधिक भरमार मिलने पर संदेह जताया। नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने कहा कि छह माह के भीतर इतनी बड़ी संख्या में माओवादी घटनाओं ने सरकार के माओवाद खत्म होने के दावे की पोल खोल दी है। गृहमंत्री विजय शर्मा की माओवादियों से बातचीत की पेशकश पर भी कटाक्ष किया गया और पूछा गया कि क्या इसके लिए किसी को मध्यस्थ बनाया गया है। इस बीच मामले में हस्तक्षेप करते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ। रमन सिंह ने इसे गंभीर मामला होने का हवाला देते हुए विपक्ष को निरुत्तर कर दिया।
खूब गरजे विक्रम मंडावी
गृहमंत्री विजय शर्मा की ओर से दिए गए लिखित जवाब में माओवादियों से मुठभेड़ के दौरान मिले हथियारों में भरमार बंदूकों की संख्या अत्यधिक होने पर विपक्ष द्वारा सवालिया निशान खड़ा किया गया। इसी बीच बड़ी फुर्ती से खड़े होकर बीजापुर के विधायक विक्रम शाह मंडावी ने कहा कि फर्जी मुठभेड़ों में आदिवासियों को मारा जा रहा है और सच्चाई पर पर्दा डालने के लिए भरमार बंदूक कीजप्ती दिखाई जा रही है। जिस पर गृहमंत्री ने आपत्ति जताई तो विधायक विक्रम शाह मंडावी ने कहा कि अभी हाल फिलहाल में बीजापुर जिले में पीडिया में जो घटना हुई है 17 माओवादियों में से 16 के पास से भरमार बंदूकों की जप्ती दिखाई गई है। एक तरह से यह सीधा सीधा फर्जी मुठभेड़ है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को कोड करते हुए कहा कि जब उन्होंने सवाल उठाया था तब उसका जवाब दे दिया गया। पूर्व मंत्री कवासी लखमा भी खड़े हुए और बीजापुर में हुई दो घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि मुठभेड़ फर्जी है तो सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से जमकर हंगामा शुरू हो गया। फिर प्रश्नकाल कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इस बीच विक्रम मंडावी ने इस संवाददाता से चर्चा में कहा कि आज जब नक्सली कारबाईन, एके -47 जैसे घातक हथियारों से लैस हो चुके हैं, तो उनके लिए फसलों की रक्षा के लिए जंगली जानवरों को भगाने के काम आने वाली भरमार बंदूकें उनके लिए कोई मायनेi नहीं रखतीं। फर्जी मुठभेड़ को छुपाने के लिए शासन ने भरमार बंदूकों का सहारा लिया है। पीड़िया मुठभेड़ की उच्च स्तरीय जांच की मांग विक्रम मंडावी ने की।
सधे हुए अंदाज में गृहमंत्री
एक ओर जहां विपक्ष के करीब आधा दर्जन विधायक सरकार को घेरने में लगे रहे, वहीं सत्ता पक्ष की ओर से गृहमंत्री विजय शर्मा सधे हुए और मंजे हुए अंदाज में विपक्ष की बोलती बंद करने में डटे रहे। विजय शर्मा ने विपक्ष के सारे आरोपों को नकारते हुए किसी भी तरह की जांच से इंकार कर दिया। विजय शर्मा ने कहा कि निरीह आदिवासियों की हत्या का आरोप बेबुनियाद है। एक तरफ नक्सली आदिवासियों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाते हैं, दूसरी ओर विपक्ष के लोग घड़ियाली आंसू बहाते हैं।. अप्रत्यक्ष रूप से गृहमंत्री विजय शर्मा का संभवतः यही कहना था कि 70 सालों से आदिवासियों और अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को बरगलाते हुए कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति करती आई है। हम इन वर्गों की साफ मन से सेवा करने में विश्वास रखते हैं। जब नक्सली निरीह आदिवासियों को मौत के घाट उतारते हैं, तब कांग्रेस का तथाकथित आदिवासी प्रेम भूमिगत क्यों हो जाता है?