करपावंड में डेंगू, मलेरिया का कहर, डॉक्टर हैं नहीं, मरीज ग्रामीण स्वास्थ्य सहायक के भरोसे

0 करपावंड के डॉक्टर को बना दिया गया है बकावंड का प्रभारी बीएमओ

(अर्जुन झा) बकावंड। सरकारी विभागों में भी अजब गजब खेल चलता है। जहां बहुत ज्यादा जरूरत होती है, वहां स्टॉफ की व्यवस्था नहीं होती और जहां पहले से ही पर्याप्त स्टॉफ है, वहां बाहर से और स्टॉफ भेज दिया जाता है। कुछ ऐसा ही खेल स्वास्थ्य विभाग में भी चल रहा है। बकावंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में योग्य डॉक्टरों के रहते करपावंड के इकलौते डॉक्टर को बकावंड सीएचसी का प्रभारी बीएमओ बना दिया गया है और करपावंड के स्वास्थ्य केंद्र को ग्रामीण स्वास्थ्य सहायक के भरोसे छोड़ दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि संलग्न डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को उनकी मूल जगह पर ही पदस्थापना दी जाए और इस आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए। इसके बावजूद करपावंड के डॉक्टर को बकावंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का प्रभारी बीएमओ बना दिया गया है। जबकि उनकी मूल पदस्थापना करपावंड में है। बकावंड के प्रभारी बीएमओ को उनकी मूल जगह करपावंड में नहीं भेजा जा रहा है। मूल रूप से बकावंड में पदस्थ और वर्षों से यहीं सेवाएं देते आ रहे किसी सीनियर डॉक्टर को बीएमओ का प्रभार न देकर बाहरी डॉक्टर को प्रभारी बीएमओ बना दिया गया है। वहीं करपावंड का स्वास्थ्य केंद्र रूरल मेडिकल असिस्टेंट यानि आरएमए के भरोसे चल रहा है। वर्तमान में डेंगू और मलेरिया का प्रभाव ओड़िशा के इस सीमावर्ती इलाके में देखने में आ रहा है। डेंगू मलेरिया से पीड़ित दर्जनों मरीज करपावंड सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में रोज पहुंच रहे हैं। ऐसे में यहां पदस्थ डॉक्टर को बकावंड बीएमओ बनाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिए जाने से सब हतप्रभ हैं। करपावंड के लोग एमबीबीएस डॉक्टर की सेवा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।केवल जूनियर डॉक्टर के भरोसे है अर्थात आरएमए के भरोसे रह गए हैं ।

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