0 काम कराए बिना 15वें वित्त और अन्य मदों की राशि हजम कर रहे हैं सरपंच
0 आजादी की 77वीं वर्षगांठ में भी गंदगी, कीचड़ के बीच रहने मजबूर हैं ग्रामीण
(अर्जुन झा) बकावंड। बस्तर जिले के सबसे शिक्षित ब्लॉक माने जाने वाले बकावंड की ग्राम पंचायत बजावंड भ्रष्टाचार की गंदगी से बजबजा रही है। यहां आजादी के अमृतकाल में भ्रष्टाचार का जहर फैला हुआ है। हमेशा से विवादों में घिरी रहती आई ग्राम पंचायत बजावंड इन दिनों काफी सुर्खियों है। यहां सरकारी धन पर सरपंच की तिजोरी में समा रहा है और ग्रामीण सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। पूरी पंचायत में चारों ओर गंदगी फैली हुई है, नालियां बजबजा रही है, जहां देखो वहां कीचड़ का साम्राज्य है।
बकावंड ब्लॉक की 96 पंचायतों में से एक बजावंड ऐसी ग्राम पंचायत है जो ओड़िशा की सीमा से बिल्कुल लगी हुई है। इस कारण यह पंचायत बहुत ही संवेदनशील और हाई प्रोफाइल पंचायतों में गिनी जाती है। बताते हैं कि ओड़िशा से सटी हुई पंचायत होने कारण गांजा, शराब और लकड़ी तस्करी बजावंड के रास्ते से ही होती है।बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर के अंतिम छोर पर स्थित होने के कारण बड़े अफसरों के कदम बजावंड ग्राम पंचायत में नहीं पड़ पाते। वहीं जनपद पंचायत बकावंड के अधिकारी भी सरपंच की करतूतों की ओर से आंखें फेरे बैठे हैं। लिहाजा सरपंच लगातार मनमानी किए जा रहे हैं। पंचायत में कोई भी काम नहीं हो रहा है और 15वें वित्त समेत तमाम शासकीय मदों से मिलने वाले लाखों रुपयों की यहां खुलकर लूट मची हुई है। वहीं ग्रामीणों की आदत सी हो गई है कीचड़ में रहने की। यहां हर जगह गंदगी और कीचड़ का जमावड़ा बना हुआ है। सांप, बिच्छू, मच्छर और अन्य जहरीले जीव लोगों को हलाकान किए हैं। ग्रामीण डेंगू, मलेरिया व दीगर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यहां फर्जी बिल लगाकर सरपंच द्वारा धड़ल्ले से भ्रष्टाचार किया जा रहा है। 15वें वित्त की हम बात करें तो आंगनबाड़ी केंद्र व अन्य भवन में रैन वाटर हार्वेस्टिंग के नाम से फर्जी कार्य दर्शा कर राशि की जमकर बंदरबांट हुई है। 15वें वित्त की राशि को ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा अपनी निजी दौलत समझकर इस कदर दुरुपयोग किया गया है कि इसकी कोई हद नहींहै। यहां पंचायत के अधीन भवनों, सड़कों आदि की मरम्मत के नाम पर मोटी रकम निकाल ली गई है। फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपये डकार लिए गए हैं। दूसरी ओर यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। यहां शासन के नियम कानून जाएं भाड़ में भ्रष्टाचार करें 15वें वित्त की आड़ में वाला खेल धड़ल्ले से चल रहा है।
ग्रामीणों के कड़े तेवर
विधानसभा चुनाव से पहले भी बजावंड के पनका पारा के ग्रामीणों नेसमस्याओं को लेकर मतदान बहिष्कार का ऐलान कर दिया था। कीचड़, साफ सफाई, स्वच्छ भारत मिशन के कार्य, आंगनबाड़ी केंद्र में बिजली के स्विच बोर्ड लटकते रहने, आंगनबाड़ी केंद्र के सामने सेप्टिक टैंक के लिए गड्डे खोद कर खुला छोड़देने, सीसी सड़क, पुलिया, आवास, मोहल्ले की गालियों में मुरम डलवाने आदि मुद्दों को लेकर ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का फैसला किया था। तब कहीं जाकर सरपंच ने पनका पारा के मोहल्ले में कुछ जगह मुरुम डलवा कर लीपापोती की थी। मुरुम डलवाने में भ्रष्टाचार किया गया था। आज भी पूरी बस्ती नरक से कम नही है। इस सारी समस्याओं को लेकर पनका पारा के दर्जनों ग्रामीणों और महिलाओं ने सरपंच पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस पूरे मामले की जानकारी जनपद पंचायत के सीईओ एसएस मंडावी को भी दी जा चुकी है, मगर दुर्भाग्य की बात है कि समस्याएं आज भी जस की तस हैं। बरसात के दिनों में बच्चों को गोद में लेकर आंगनबाड़ी तक छोड़ना पड़ रहा है।
सीईओ नहीं दे रहे ध्यान
बकावंड जनपद के सीईओ इन समस्याओं का समाधान करना चाहते तो काफी पहले कर सकते थे। किंतु उनकी बेपरवाही के कारण बजावंड पंचायत में भ्रष्टाचार चरम सीमा तक पहुंच चुका है। बकावंड जनपद पंचायत में एक काम जरूर हुआ है पंचायत सचिवों को दूसरी जगह भेजकर दूसरे लाने का। मगर मुख्य कार्यपालन अधिकारी बकावंड को यह नही मालूम कि समस्याओं का समाधन सचिवों का फेरबदल करने से नही होगा। मूलभूत सुविधाओं, 15वें वित्त योजना, मरम्मत कार्य के नाम पर फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपये डकारना और ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसाना बजावंड ग्राम पंचायत की परंपरा बन गई है। रनिंग वाटर केकार्य, समुदायिकक शौचालय, स्वच्छ भारत मिशन के कार्य की भी यहां धज्जियां उड़ाई गई हैं। इतने बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की ओर सीईओ का ध्यान कैसे नहीं जा रहा है, यह भी आश्चर्य का विषय है।