इसीलिए तो बदनाम हैं सरकारी अस्पताल, सरकारी स्कूल और सरकारी काम!

0  धसकी ग्रामीण यांत्रिकी विभाग से निर्मित नालियां 
0 ग्रामीणों के लिए मुसीबत बनी टूट फूट चुकी नालियां 

(अर्जुन झा) बकावंड। सरकारी अस्पताल, सरकारी शालाएं और सरकारी निर्माण कार्य बहुत बदनाम हैं। सरकारी अस्पतालों में अच्छा इलाज नहीं होता, सरकारी स्कूलों में ढंग से पढ़ाई नहीं होती और सरकारी निर्माण कार्य टिकाऊ नहीं होते। चिकित्सा विभाग और शिक्षा विभाग तो अपने खिलाफ उपजी इन भ्रान्तियों को दूर करने में कामयाब हो गए हैं, मगर निर्माण से जुड़े सरकारी विभाग आज भी पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं। वजह सिर्फ और सिर्फ एक है भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार की लत इन विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को इस कदर लग चुकी है कि वह जेनेटिक रोग जैसा बन गया है। एक निर्माणी विभाग के इस जेनेटिक रोग ने बकावंड ब्लॉक की ग्राम पंचायत कुम्हरावंड के कड़ीगुड़ा पारा के ग्रामीणों को बुरी तरह हलाकान करके रख दिया है।


बकावंड विकासखंड की ग्राम पंचायत कुम्हरावंड के कड़ीगुड़ा पारा में शासन की योजना के तहत 170 मीटर का निकास नाली का निर्माण कार्य चल रहा है। इस निर्माण कार्य की जिम्मेदारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग को दी गई है। इस विभाग के सब इंजीनियर नाली की गुणवत्ता का ध्यान सइ नहीं रख रहे हैं। बिना बेस के नाली की दीवारें बनाई जा रही है। नाली निर्माण में सीमेंट कम मात्रा से उपयोग की जा रही है। वहीं गारा बनाने के लिए जो रेत इस्तेमाल की जा रही है, वह पूरी तरह से मिट्टीयुक्त है। बेस महज 2 से 3 इंची तक ही डाला गया है। नाली बहुत ही कमजोर है और आप ही आप धसकने लगी है। सड़क पर बाईक या कोई बड़ा वाहन गुजरता है, तो नाली तेजी से ढहने लग जाती है। नाली निर्माण बस्ती के ग्रामीण कतई खुश नहीं हैं और भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं। वहीं निर्माण कार्य कराने वाले इंजीनियर संतोष बंबेश्वर का कहना है कि जैसा एस्टीमेट बना है, उसी आधार पर नाली बनाई जा रही है, फिर भी मैं मौके पर जाकर निरीक्षण करूंगा। वैसे अब सरकारी अस्पतालों और सरकारी स्कूलों की दशा काफी सुधर चुकी है। सरकारी अस्पतालों में तरह तरह के संसाधन, आधुनिक उपकरण, पर्याप्त स्टॉफ और विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध हो चुके हैं और लोगों का झुकाव सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने की ओर बढ़ा है। इसी तरह सरकारी स्कूलों में भी अब उत्कृष्ट पढ़ाई होने लगी है। लोगों की धारणा स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के प्रति बदल चुकी है। वहीं लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग, जल संसाधन विभाग, पीएचई जैसे निर्माण कार्यों से जुड़े विभाग भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुके हैं। हर काम में भ्रष्टाचार इन विभागों के अधिकारियों की पहली प्राथमिकता होती है। इसीलिए इन विभागों के माध्यम से कराए जाने वाले निर्माण कार्य ज्यादा टिकाऊ नहीं होते। लोग भी उनके कामों पर भरोसा नहीं करते।

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