दूरस्थ और दुर्गम गांवों के लोगों के लिए टेली मेडिसीन सेवा कम नहीं है किसी वरदान से

० ग्रामीणों को अब गांव में ही मिल रही है स्तरीय सेवा
०  जिला चिकित्सालय आने के झंझट से मिली मुक्ति 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। बस्तर संभाग की भौगोलिक परिस्थितियों और दूरस्थ एवं दुरूह गांवों के ग्रामीणों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के निर्देश पर दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा शुरू की गई टेली मेडिसिन सेवा ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रही है। ग्रामीणों को अब गांव में रहकर ही उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवा मिल रही है।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को निरंतर चिकित्सा और देखभाल की जरूरत होती है। भौगोलिक बाधाएं, परिवहन संबंधी समस्याएं और बार- बार अस्पताल जाने का तनाव दूरस्थ क्षेत्रों के ग्रामीण मरीजों के लिए नियमित चिकित्सा देखभाल को मुश्किल बना देते हैं। मगर अब राज्य शासन एवं दंतेवाड़ा जिला प्रशासन की पहल पर टेली मेडिसीन के माध्यम से मरीजों की इन दिक्कतों को आसान बना दिया गया है। टेली मेडिसीन के जरिए अब चिकित्सक चिकित्सालय में ही रहकर वर्चुअल माध्यम से मरीज से बातचीत कर उचित चिकित्सकीय परामर्श देने के अलावा और उनकी बीमारियों के लक्षण के अनुरूप चिकित्सालय रेफर करने का निर्देश दे सकते हैं।
उल्लेखनीय कि दंतेवाड़ा जिले में जिला प्रशासन द्वारा मार्च 2024 से टेली मेडिसीन सेवा शुरू करने की पहल की गई है। टेली मेडिसीन के जरिए जिला अस्पताल के चिकित्सक प्रतिदिन दो घंटे के लिए मरीजों हेतु उपलब्ध रहते हैं। इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों का चार्ट भी बनाया गया है। जहां उन्हें 40 से अधिक ग्रामीण प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से विडियो कॉल मिलती है और वे लोगों को सीधे चिकित्सकीय परामर्श देते हैं। मरीजों को रोगों की गंभीरता का पता चलने के साथ-साथ और उन्हें समय पर उचित इलाज कराने का विकल्प मिल जाता है। इस सुविधा के प्रारंभ होने से ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को सीधे अस्पताल आने की जरूरत नहीं पड़ती है और वे समय रहते उपचार प्रारंभ करा सकते हैं। इसके साथ ही उन्हें अस्पताल आने जाने के खर्चे, दूरी, समय की बचत, जैसी सुविधाएं होने के साथ-साथ अस्पताल में भीड़ से हो रही असुविधा का भी सामना नहीं करना पड़ रहा है। इस संबंध में ग्रामीणों द्वारा अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में जाकर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक से सम्पर्क किया जाता है। जहां जिला अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराए गए लिंक के माध्यम से जिला अस्पताल सम्पर्क साधा जाता है और उपलब्ध चिकित्सक मरीजों से बातचीत कर चिकित्सकीय मार्गदर्शन देते हैं। चिकित्सकों के परामर्श अनुसार उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ एएनएम एवं सीएचओ द्वारा मरीजों को निशुल्क दवाई दी जाती है।

खुश हैं रानू और सावन बाई

इस क्रम टेली मेडिसीन सुविधा से लाभान्वित मरीज मांझीपदर निवासी रानू बाई एवं सावन बाई ठाकुर बताती हैं कि पहले छोटी -छोटी बीमारी को लेकर जिला अस्पताल तक जाना पड़ता था। लेकिन अब राज्य एवं जिला प्रशासन द्वारा संचालित टेली मेडिसिन के माध्यम से कई बीमारियों के उपचार के संबंध में चिकित्सा परामर्श और दवाईयों के निर्देश गांव में ही रहकर ही प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि उन्हें घुटने, कमर, सीने में दर्द जैसी शारीरिक समस्या थी और इनका समाधान टेली मेडिसिन के माध्यम से डॉक्टर से वीडियो कॉल पर बात करके हुआ है। जिसके लिए ना तो हमें जिला अस्पताल जाना पड़, न ही दवाई लेने की कतार में खड़ा होना पड़ा। इस प्रकार टेली मेडिसिन की यह सुविधा हम ग्रामीणों के लिए लाभदायक सिद्ध हो रही है।
ढाई हजार उठा चुके लाभ
इसके साथ ही विकासखंड कुआकोंडा के ग्राम पोटाली किकरीपारा निवासी मरीज 23 वर्षीया मनीषा मंडावी अंदरूनी व्याधियों से ग्रस्त होने के कारण दंतेवाड़ा आने जाने में सक्षम नही थी। परन्तु टेली मेडिसिन से टेली कंसल्टेंट करके उनका चिकित्सकों द्वारा उपचार किया गया। इस प्रकार दंतेवाड़ा जिले में विगत तीन माह तक कुल 2 हजार 3 सौ 21 मरीज का उपचार टैली मेडिसिन के द्वारा किया गया है। टेली मेडिसिन सेवाएं वास्तव में सुदूर अंचलों में रहने वाले आम ग्रामीणों के लिए एक बड़ी राहत है, जो किसी भी प्रकार की शारीरिक अस्वस्थता के चलते जिला चिकित्सालय नहीं आ पाते है। वे ऐसे स्थिति में अपने ग्राम के समीप ही चिकित्सकों से संवाद कर उचित स्वास्थ्य सलाह लेकर उपचार कर पा रहे हैं।

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